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६ सोना और सुगन्ध अभी आप बहुत दूर से चलकर आये हैं। पसीने से तरबतर हैं, थके हुए हैं, मैं अभी जाती हूँ और नागला को सूचित करती हूँ।
भावदेव मुनि विश्राम के लिए उद्यान में ठहर गये। वे मन में भावी कल्पनाओं के सुनहरे महल खड़े कर रहे थे। मुझे किस प्रकार घर जाना चाहिए और अपना उजड़ा घर कैसे बसाना चाहिए । कुछ ही समय बीता कि वही बहिन एक अन्य बहिन के साथ सामायिक करने के लिए आ गई। भावदेव असमंजस में पड़ गये। इनके रहते मैं घर कैसे जा सकता हूँ। भावदेव अपनी कल्पनाओं में बहे जा रहे थे और वह बहिन सोच रही थी कि इन्हें किस प्रकार प्रतिबोध दूं। इनकी नौका मध्य भँवर में फंस चुकी है, यदि मैंने जरा भी सावधानी न रखी तो डूब जायेगी, अतः इनका उद्धार करना मेरा परम कर्तव्य है। मैं ऐसा उपाय करूं जिससे इनकी साधना अखण्ड बनी रहे। ___मुनि भावदेव बहिनों के कार्य को देख रहे थे और बहिनें मुनि की गतिविधियों को निहार रही थीं। इतने में आठ-दस वर्ष का एक बालक आया और बहिन के मना करने पर भी वह बहिन की गोद में बैठ गया। बहिन उसे प्यार करने लगी।
बालक ने कहा~माँ तुम बहुत ही अच्छी हो, तुमने आज मुझे बहुत ही बढ़िया खीर खिलाई, वह मुझे बहुत
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