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सोना और पत्थर | १३७ मन्त्री की बात पर राजा को आश्चर्य हुआ। राजा ने सोचा, 'पूरे राज्य में राजा का अर्थात् मेरा ही खजाना है। मेरे अलावा मन्त्री के पास भी खजाना है ?' अपने आश्चर्य को दबाते हुए राजा ने पूछा____ "मन्त्री ! अपना खजाना तुमने हमें नहीं दिखाया ? हमें भी तो दिखाओ।"
मन्त्री-चलिए राजन्, आज ही चलिए। आज पूरा धन खजाने में भरवाकर मैं बन्द कराने की आज्ञा नौकरों को दे आया हूँ।
राजा मन्त्री के घर पहुँचा । मन्त्री के आँगन में कई गडढे खुदे पड़े थे । पत्थरों के ढेर भी लगे थे और गड्ढों से निकली मिट्टी भी वहीं पड़ी थी। राजा ने चारों ओर देखा और मन्त्री से पूछा---
"कहाँ है, तुम्हारा खजाना ?" मन्त्री ने नौकरों को हुक्म दिया"ये पत्थर गड्ढों में भरकर ऊपर से मिट्टी डाल दो।" नौकर ऐसा ही करने लगे । मन्त्री ने राजा से कहा"देखिए राजन् ! नौकर मेरा खजाना भर रहे हैं।" राजा झुझलाया
"मन्त्री ! तुम पागल तो नहीं हो? ये पत्थर हैं। क्या यह पत्थर ही तुम्हारा खजाना है ?"
मन्त्री ने मुस्कराकर कहा
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