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महाराजा ने संदेश पढ़ा। वे अवाक् रह गए। संदेश महाबल का था और जल्दबाजी में कुछ भी अनर्थ कार्य न करने की प्रार्थना की गई थी।
आश्चर्य ! सुंदरी कह रही है कि कल रात महाबल उसके साथ था और संदेश आ रहा है चंद्रावती नगरी से ! दोनों में सही कौन ?
मलया ने कहा- महादेवीजी ! आप एक बार दूत को यहां बुलाएं।'
रक्षक बोला-'महादेवीजी ! जब आप धनंजय मंदिर की ओर गई थीं, तब यह दूत आया था। वह पत्र देकर चला गया। जाते-जाते उसने इतना-सा कहा कि यह पत्र महत्त्वपूर्ण है। मैं रास्ते में ज्वरग्रस्त हो गया था, इसलिए दो दिनों की देरी हुई, अन्यथा यह पत्र दो दिन पूर्व ही दे आता।'
महाराजा के सेनाध्यक्ष ने सैनिकों को वन-प्रदेश में महाबल को ढूंढने के लिए भेजा और वह स्थान पर आ पहुंचा।
१९२ महाबल मलयासुन्दरी
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