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________________ रहा था। महाबल को प्रतीत हुआ कि रोने वाली नारी कहीं आसपास ही है। चलते-चलते एक स्थान पर वह सहमकर रुका। उसके कानों में शब्द पड़े-'अरे ओ भाग्यशाली! रुक । मेरा एक काम कर।' उसने सोचा-'कौन बोला?' . महाबल ने तलवार की मूठ पर हाथ रखते हुए चारों ओर देखा । कुछ ही दूरी पर अग्नि के जलने का आभास हुआ। उसने उस अग्नि के मंद प्रकाश में देखा कि एक योगी खड़ा है। वह मात्र कोपीन धारण किए हुए है और कह रहा है—'भाई ! थोड़ा इधर आ।' रुदन करने वाली नारी का स्वर भी निकट हो रहा था। महाबल निर्भयतापूर्वक योगी की ओर बढ़ा। . योगी एक पत्थर के शिलाखण्ड पर खड़ा था."उससे चार हाथ की दूरी पर अग्नि जल रही थी। ...महाबल को निकट आते देख योगी बोला-'वत्स ! तेरे चेहरे पर तेज है... तू सामान्य पुरुष तो नहीं है, किन्तु कोई तेजस्वी राजकुमार है। मैं यहीं रहता हं। मेरा आश्रम यहीं है। मैं स्वर्ण का 'सिद्धपुरुष' तैयार करना चाहता हूं। किन्तु एक उत्तम और साहसी उत्तर-साधक के अभाव में यह महान् सिद्धि, उपलब्ध नहीं हो सकेगी। यदि तू मेरे पर कृपा करे तो मेरे वर्षों का स्वप्न साकार हो जाए। किन्तु मैं एक स्त्री का रुदन सुनकर खोज करने निकला हूं...' 'मेरे कार्य की निष्पत्ति में तेरा कार्य भी हो जाएगा तेरा शुभ नाम ?' योगी ने पूछा। ____ 'मैं पृथ्वीस्थानपुर का युवराज महाबल हूं।' 'ओह ! तब तो मेरा कार्य अवश्य ही पूरा होगा। मैं तुझे अधिक समय तक नहीं रोकूगा । जहां एक नारी रो रही है, वहीं वृक्ष की शाखा से एक शव लटक रहा है। यह शव अखंड है। मेरी क्रिया के लिए यह बहुत उपयोगी है। मैं उसे उठाकर यहां ला नहीं सकता"तू जा"उस बहन को शांत करना और शव को कंधे पर उठाकर ले आना।' ____दो क्षण विचार कर महाबल बोला-'महाराज ! आपके कार्य को निष्पन्न करने में मुझे कोई आपत्ति नहीं."किन्तु प्रातः होते-होते मुझे नगरी में पहुंचना योगी बोला-'वत्स ! मेरे कार्य में विलम्ब नहीं होगा। तू इधर आ, मैं मंत्र से तुझे शुद्ध कर देता हूं।' महाबल योगी के सामने खड़ा रहा। योगी ने कुछ मंत्रोच्चारण किया और सात बार पानी की अंजली महाबलः १७८ महाबल मलयासुन्दरी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003181
Book TitleMahabal Malayasundari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1985
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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