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७८ | चिन्तन के विविध आयाम : खण्ड १
ग्रन्थों में हुई जहाँ पर मुख्य रूप से कर्मकाण्ड का विश्लेषण है । उपनिषदों में ज्ञानकाण्ड की प्रधानता है । वेदों को प्रमाण मानकर स्मृति और सूत्र साहित्य का निर्माण हुआ है।
श्रमण-संस्कृति दो विभागों में विभक्त हई- एक बौद्ध और दूसरी जैन । बौद्ध संस्कृति का प्रतिनिधित्व तथागत बुद्ध ने किया। बुद्ध ने अपने जिज्ञासुओं को जो उपदेश प्रदान किया वह त्रिपिटक साहित्य के रूप में उपलब्ध है । त्रिपिटक बुद्ध के उपदेशों का एक सुन्दर संकलन है-सुत्तपिटक, विनयपिटक और अभिधम्मपिटक । सुत्तपिटक में सूत्र के रूप में बहुत ही संक्षेप में उपदेश दिया गया है । विनयपिटक में आचार-संहिता का विश्लेषण है और अभिधम्मपिटक में तत्त्वों का गहराई से विवेचन है। बौद्ध साहित्य बहुत ही विशाल है । तथापि यह कहा जा सकता है कि त्रिपिटक में बौद्ध विचारों का नवनीत है। त्रिपिटक साहित्य की भाषा पाली है जो उस युग की जन भाषा थी।
श्रमण संस्कृति का दूसरा रूप जैन संस्कृति है । जिन की वाणी व उपदेश में जिसे विश्वास है वह जैन है । यहाँ पर 'जिन' से तात्पर्य राग-द्वेष रूप आत्म-विकारों पर विजय करने वाले जिन याने तीर्थंकर हैं। तीर्थंकरों की पवित्र वाणी का संकलन आगम है । आगम आत्मिक ज्ञान-विज्ञान का अक्षयकोष है। उसमें साधक के अन्तनिस में उबुद्ध होने वाली जिज्ञासाओं का व्यापक समाधान है ।
प्राचीन काल से जैन परम्परा का श्रुत साहित्य अंग-प्रविष्ट और अंगबाह्य इन दो रूपों में विभक्त है ।' अंग-प्रविष्ट श्रुत वह है जो अर्थ रूप में महान् ऋषि तीर्थंकरों से द्वारा कहा गया है और उसके पश्चात् तीर्थकर के प्रधान शिष्य श्रुत केवली गणधरों के द्वारा सूत्र रूप में रचा गया है ।
___ अंगबाह्य श्रुत वह है जो गणधरों के पश्चात् विशुद्धागम विशिष्ट बुद्धिशक्तिसम्पन्न आचार्यों के द्वारा काल एवं संहनन प्रभृति दोषों के कारण अल्पबुद्धि शिष्यों के अनुग्रह के लिए स्थविरों के द्वारा रचित है । अंगप्रविष्ट-श्रुत गणनायक आचार्यों का सर्वस्व होने से उसे गणिपिटक कहा गया है । वह संख्या की दृष्टि से बारह प्रकार का है जैसे (१) आयार (आचार). (२) सूयगड (सूत्रकृत), (३) ठाण (स्थान), (४) समवाय (समवाय), (५) विवाहपन्नत्ति (व्याख्याप्रज्ञन्ति) या (भगवती), (६) नाया
1 नन्दी सूत्र - श्रुतज्ञान प्रकरण । ५ तत्त्वार्थ ० स्वोपज्ञभाष्य १-२० । 3 वही० १-२० ।
र-प्रमाण प्रकरण । (ख) समवायांग, समवाय १४८ । 5 नन्दीसूत्र-श्रुत ज्ञान प्रकरण ।
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