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राजस्थान के प्राकृत श्वेताम्बर साहित्यकार | ६५
योग, कथा, ज्योतिष और स्तुति प्रभृति सभी विषयों में ग्रन्थ लिखे हैं । जैसे - उपदेशपद, पञ्चवस्तु, पंचाशक, बीस विशिकाएँ, श्रावक धर्मविधिप्रकरण, सम्बोधप्रकरण, धर्मसंग्रहणी, योग विंशिका, योग शतक, धूर्त्ताख्यान, समराइच्चकहा, लग्नशुद्धि, लग्न कुण्डलियाँ आदि ।
समराइच्चकहा प्राकृत भाषा की सर्वश्रेष्ठ कृति है । जो स्थान संस्कृत साहित्य में कादम्बरी का है, वही स्थान प्राकृत में 'समराइच्चकहा' का है । यह ग्रन्थ जैन महाराष्ट्री प्राकृत में लिखा गया है, अनेक स्थलों पर शौरसेनी भाषा का भी प्रभाव है ।
'धुत्तैखाण' हरिभद्र की दूसरी उल्लेखनीय रचना है । निशीथचूर्णि की पीठिका में धूर्त्ताख्यान की कथाएँ संक्षेप में मिलती हैं। जिनदासगणि महत्तर ने वहाँ यह सूचित किया है, कि विशेष जिज्ञासु 'धूर्त्ताख्यान' में देखें । इससे यह स्पष्ट है कि जिनदासगण के सामने 'धूत्ताकखाण' की कोई प्राचीन रचना रही होगी, जो आज अनुपलब्ध है | आचार्य हरिभद्र ने निशीथचूर्णि के आधार से प्रस्तुत ग्रन्थ की रचना की है । ग्रन्थ में पुराणों में वर्णित अतिरञ्जित कथाओं पर करारे व्यंग्य करते हुए उनकी अयथार्थता सिद्ध की है । 1
भारतीय कथा साहित्य में शैली की दृष्टि से इसका मूर्धन्य स्थान है। लाक्षणिक शैली में इस प्रकार की अन्य कोई भी रचना उपलब्ध नहीं होती । यह साधि - कार कहा जा सकता है कि व्यङ्गोपहास की इतनी श्रेष्ठ रचना किसी भी भाषा में नहीं है । धूर्तों का व्यंग्य प्रहार ध्वंसात्मक नहीं अपितु निर्माणात्मक है ।
कहा जाता है कि आचार्य हरिभद्र ने १४४४ ग्रन्थों की रचना की थी । किन्तु वे सभी ग्रन्थ उपलब्ध नहीं हैं । डा० हर्मन जेकोबी, लॉयमान विनित्स, प्रो० सुवाली और शुगि प्रभृति अनेक पाश्चात्य विचारकों ने हरिभद्र के ग्रन्थों का सम्पादन और अनुवाद भी किया है । 2 उनके सम्बन्ध में प्रकाश भी डाला है । इससे भी उनकी महानता का सहज ही पता लग सकता है ।
उद्योतनसूरि
उद्योतन सूरि श्वेताम्बर परम्परा के एक विशिष्ट मेधावी सन्त थे । उनका जीवनवृत्त विस्तार से नहीं मिलता। उन्होंने वीरभद्रसूरि से सिद्धान्त की शिक्षा प्राप्त की थी और हरिभद्रसूरि से युक्तिशास्त्र की । कुवलयमाला प्राकृत साहित्य
1 सिंघी जैन ग्रन्थमाला, भारतीय विद्याभवन, बम्बई से प्रकाशित |
2 देखिए - डॉ० हर्मन जेकोबी ने समराइच्चकहा का सम्पादन किया, प्रो० सुवाली ने योगदृष्टि समुच्चय, योगबिन्दु, लोकतत्त्व निर्णय, एवं षड्दर्शन समुच्चय का सम्पादन किया और लोकतत्त्व निर्णय का इटालियन भाषा में अनुवाद किया ।
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