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शुद्धि पत्र
अशुद्ध
शुद्ध
चतन्य
शत्र
शत्रु
वदिक
वैदिक २० १२
चैतन्य ४३ २५ ४६ १६ अनगदेव
अनंगदेव ५२ १४ प्रस्तिथ
प्रस्थित १५६ ६ म्पदा
सम्पदा १५६ ७ १०००६६ श्रमणोपासक १६६००० श्रमणोपासक १५६ ८ ३०००३६ श्रमणोपासिकाएं ३३६००० श्रमणोपासिकाएं १५८ ७ कल्पसूत्र १०००६६ श्रमणोपासक १६६००० श्रमणोपासक १५८ ८ कल्पसूत्र ३०००३६ श्रमणोपासिकाए ३३६००० श्रमणोपासिका १६५ १० में दुबारा नेमिनाह चरिउ का उल्लेख हो गया है । १७७ ८ वादेसुव
वासुदेव १८१ १३ कृष्ण पाणिग्रहण
कृष्ण के पाणिग्रहण २६२ १४
गजा २६४ १८
यद्ध २६६ २६
श्रेयस्कर इनके अतिरिक्त भी कुछ फ़्फ्स तथा टाइप आदि कटिंग होने से अशुद्धियां रह गई हैं उन्हें विज्ञ सुधार लें । हेमचन्द्र के नाम के पूर्व मल्लधारी छपा है वहां मलधारो पढ़ें।
१८१
राजा
श्रयस्कर
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