________________
भौगोलिक परिचय : परिशिष्ट १
३७७ किया गया है । १६५ किन्तु जैन साहित्य में वर्णित सोलह जनपदों में पाञ्चाल का उल्लेख नहीं है।
कनिंघम के अभिमतानुसार आधुनिक एटा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद और आस-पास के जिले पाञ्चाल राज्य की सीमा के अन्तर्गत आते हैं।१६६ मत्स्य :
मत्स्य (अलवर के सन्निकट का प्रदेश) जनपद का उल्लेख जैन ग्रन्थों के अतिरिक्त महाभारत में भी आता है।
वैराट या विराटनगर (वैराट, जयपुर के पास) मत्स्य की राजधानी था। मत्स्य के राजा विराट् की राजधानी होने से यह विराट या वैराट कहा जाता था। पांडवों ने एक वर्ष तक यहां गुप्तवास किया था। यहां के लोग वीरता की दृष्टि से विश्रुत थे । बौद्ध मठों के ध्वंसावशेष भी यहां उपलब्ध हुए हैं। वैराट जयपुर से बयालीस मील पर है। कांपिल्य : __ कांपिल्य को कंपिला भी कहते हैं। यहां पर तेरहवें तीर्थंकर विमलनाथ का जन्म, राज्याभिषेक और दीक्षा आदि प्रसंग हुए हैं। जिनप्रभसूरि ने कपिलपुर कल्प में लिखा है-जम्बूद्वीप में, दक्षिण भरत खण्ड में, पूर्व दिशा में, पांचाल नामक देश में कंपिल नामक नगर गंगा के किनारे अवस्थित है। अठारवीं शताब्दी के जैन यात्रियों ने कंपिला की यात्रा करते हुए लिखा है
जी हो, अयोध्या थी पश्चिम दिशे,
जी हो कंपिलपूर के दाय । जी हो, विमलजन्मभूमि जाण जो,
जी हो पिटियारी वहि जाय ॥ इसमें कंपिलपुर नगरी अयोध्या से पश्चिम दिशा में होने का चन किया है। पं० बेचरदासजी का अभिमत है-'फर्रुखाबाद
१६५. अंगुत्तरनिकाय भाग १, पृ० २१३ १६६. दी एन्शियन्ट ज्योग्राफी ऑफ इण्डिया पृ० ४१२, ७०५
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org