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________________ ३७० भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण पर व्यंग करते हुए लिखा - अत्यन्त आश्चर्य है कि काशी में कौआ भी मर जाये तो वह सीधा मोक्ष जाता है किन्तु यदि कोई मानव मगध में मृत्यु को प्राप्त हो तो उसे गधे की योनि में जन्म लेना पड़ेगा । १२० मगधदेश का प्रमुख नगर होने से राजगृह को मगधपुर भी कहा जाता था । १२१ भगवान् मुनिसुव्रत का जन्म भी मगध में ही हुआ था । १२२ महाभारत के युग में मगध के सम्राट् प्रतिवासुदेव जरासंध थे । बुद्धिस्ट इण्डिया के अनुसार - मगध जनपद वर्तमान गया और पटना जिले के अन्तर्गत फैला हुआ था । उसके उत्तर में गंगा नदी, पश्चिम में सोन नदी, दक्षिण में विन्ध्याचल पर्वत का भाग और पूर्व में चम्पानदो थी । १२३ इसका विस्तार तीन सौ योजन ( २३०० मील) था और इसमें अस्सी हजार गांव थे । १२४ वसुदेव हिण्डी के अनुसार मगधनरेश और कलिंग नरेश के बीच मनमुटाव चलता रहता था । १२५ ११६. व्यवहारभाष्य १०।१६२ तुलना करो बुद्धिर्वसति पूर्वेण दाक्षिण्यं दक्षिणापथे । पैशुन्यं पश्चिमे देशे, पौरुष्यं चोत्तरापथे ॥ - गिलगित मैनुस्क्रिप्ट ऑव द विनयपिटक इण्डियन हिस्टोरिकल क्वार्टर्ली, १९३८ पृ० ४१६ १२०. कासी वासी काग मुउइ मुगति लहइ । मगध मुओ नर खर हुई है || - प्राचीन तीर्थमाला, संग्रह भाग १ पृ० ४ १२१. जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज पृ० ४६१ १२२. मुनि सुव्रत काव्य - अर्हद्दास रचित, श्री जैन सिद्धान्तभवन आरा सन् १९३६ ई० १।२२, २३, व ३३ १२३. बुद्धिस्ट इण्डिया पृ० २४ १२४. वहीं ० पृ० २४ १२५. वसुदेव हिण्डी पृ० ६१-६४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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