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भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण
जैन साहित्य में अंगलोक का उल्लेख सिंहल (श्री लंका), बब्बर, किरात, यवनद्वीप आरबक, रोमक, अलसन्द (एलेक्जेण्डिया) और कच्छ के साथ आता है।५८ जैन ग्रन्थों में अंग देश और चम्पा के साथ अनेक कथाओं का सम्बन्ध आता है। भगवान् अरिष्टनेमि ने अंग देश में विचरण किया था। भगवान् महावीर का तो वह मुख्य विहार स्थल था ही। बंग :
बंग की गणना प्राचीन जनपदों में की गई है । वह व्यापार का मुख्य केन्द्र था। जल और स्थल दोनों ही मार्गों से वहां माल आताजाता था। यह जनपद-अंग के पूर्व और सुह्म के उत्तर-पूर्व में स्थित था। बौद्ध ग्रन्थ महावंश में बंग जनपद के अधिपति सिंहबाह राजा का वर्णन है, जिसके पुत्र विजय ने लंका में जाकर प्रथम राज्य स्थापित किया था।१९ मिलिन्दपण्हो' में बग का उल्लेख है। वहां नाविकों का नावें लेकर व्यापारार्थ जाना दिखाया गया है। 100 'दीपवंस'१०१ और 'महावंस' १०२ में वर्धमाननगर का वर्णन है। डा० नेमिचन्द्र शास्त्री का मन्तव्य है कि वह आधुनिक बंगाल के वर्द्धमान नगर से मिलाया जा सकता है।103 बंग को पूर्वी बंगाल माना जा सकता है। आदि पुराण के अनुसार भरत चक्रवर्ती ने बंग जनपद को अपने अधीन किया था ।१०४ विशेष परिचय के लिए लेखक का भगवान् पाश्र्व : एक समीक्षात्मक अध्ययन' ग्रन्थ का परिशिष्ट देखिए।१०५
६८. (क) जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति ५२, पृ० २१६
(ख.) आवश्यक चूणि पृ० १६१ ६६. महावंस-- हिन्दी अनुवाद) ६।१, १६, २०, ३१ १००. मिलिन्दपञ्हो (बम्बई वि० वि० संस्करण) जि० १, पृ० १५४ १०१. दीपवंस पृ० ८२ १०२. महावंस (हिन्दी अनुवाद) १५२६२ १०३. आदिपुराण में प्रतिपादित भारत-पृ० ६५ १०४. आदिपुराण २६१४७, १६३१५२ १०५. पृ० २००
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