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भगवान् अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण हस्तिकल्प में अच्छंदक के साथ युद्ध : .
श्रीकृष्ण द्वारिका से चलकर हस्तिकल्प नगर के पास आये । उस समय हस्तिकल्प नगर में धृतराष्ट्र का पुत्र अच्छदंक राज्य करता था। महाभारत के युद्ध में कौरव दल का संहार हुआ तब श्रीकृष्ण पाण्डव के पक्ष में थे अतः वह श्रीकृष्ण का विरोधी था । श्रीकृष्ण को उस समय क्षुधा सताने लगी। उन्होंने बलभद्र को कहा -आप नगर में जाकर भोजन लाइए। नगर में जाने पर किसी प्रकार का कोई भी उपद्रव हो जाय तो आप सिंहनाद करना, मैं शीघ्र ही चला आऊँगा।२२
बलभद्र भोजन लेने के लिए हस्तिकल्प नगर में गए । बलभद्र के अपूर्व सौन्दर्य को देखकर लोग सोचने लगे-यह कौन महापुरुष है ? तभी उन्हें ख्याल आया कि द्वारिका जल गई है, संभवतः यह बलभद्र हों । बलभद्र ने अपनी नामाङ्कित मुद्रिका देकर हलवाई के वहाँ से भोजन लिया, वे भोजन लेकर नगर से निकलने लगे। तभी राजा नगर के दरवाजे बन्द करवा कर सेना के साथ बलभद्र को मारने के लिए आया। बलदेव शत्र सैन्य से घिर गये। उन्होंने उसी समय भोजन को एक तरफ रख कर सिंहनाद किया। सिंहनाद को सुनते ही श्रीकृष्ण दौड़ते हुए आये नगर का दरवाजा बन्द था । श्रीकृष्ण ने पैर से उस पर प्रहार किया, दरवाजा नीचे गिर पड़ा। नगर में आकर वे शत्र दल पर टूट पड़े । शत्र सेना पराजित हो गई। अच्छदंक श्रीकृष्ण के चरणों में गिरा। श्रीकृष्ण ने उसे फटकारते हुए कहा-अरे मूर्ख ! हमारी भुजा का बल कहीं चला नहीं गया है। यह जानकर भी तूने यह मूर्खता क्यों की ! जा, अब भी तू अपने राज्य में सुख पूर्वक रह । हम तेरे अपराध को क्षमा करते हैं। कौशाम्बी के वन में :
वे नगर से बाहर निकल आये। उद्यान में जाकर उन्होंने भोजन किया। और वहां से दक्षिण दिशा की ओर चल दिये । चलते-चलते कौशाम्बी नगरी के वन में आये ।२3
२२. त्रिषष्टि० ८।११।१०७-१०६, २३. त्रिषष्टि० ८।११।११६-१२२
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