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द्वारिका में श्रीकृष्ण
२३५ रक्षा करें। अज्ञान के कारण मेरे द्वारा किये गये अपराध को क्षमा करें।
उसके पश्चात् धृति नामक देवकन्या के समान जाम्बवतो को लेकर श्रीकृष्ण द्वारिका आये।
जाम्बवती का भाई दुष्प्रसहकूमार भी विराट् सम्पत्ति के साथ जाम्बवती की दासियों को लेकर द्वारिका आया। श्रीकृष्ण ने प्रम से उसका स्वागत किया। जाम्बवती को पृथक-महल प्रदान किया। (८) रुक्मिणी :
विदर्भ जनपद के कुण्डिनपुर नगर का भेषक राजा था। रुक्मिणी उसकी लड़की थी। नारद ने श्रीकृष्ण को रुक्मिणी के अनुपम रूप के सम्बन्ध में बताया ।८ श्रीकृष्ण वहां जाते हैं और उनके साथ विवाह करते हैं। पूर्व इस सम्बन्ध में विस्तार से परिचय दिया गया है।
आगम साहित्य में यों श्रीकृष्ण के सोलह हजार रानियों का भी उल्लेख मिलता है। पर उनमें आठ प्रमुख थीं। शेष रानियों के नाम और परिचय प्राप्त नहीं हैं । __वैदिक परम्परा के ग्रन्थों में भी श्रीकृष्ण के सोलह हजार एक सौ एक स्त्रियां होने का वर्णन है।४० किन्तु उनमें विष्णुपुराण के अनुसार रुक्मिणी के अतिरिक्त-१ कालिन्दी, २ मित्रविन्दा, ३ नग्न जित् की पुत्री सत्या, ४ जाम्बूवती ५ रोहिणी ६ मद्रराज की
३७. वसुदेवहिण्डी पृ०८० ३८. वियब्भाजणवए कुडिणिपुरं नाम नयरं । तत्थ भेसगो राया, विज्जु
मती देवी, तेसि पुत्तो रूप्पी कुमारो, रुप्पिणी य दुहिया । सा य वासुदेवस्स नारएण निवेदिता ।
-वसुदेवहिण्डी पृ० ८० प्र० भाग ३६. (क) अन्तगडदशाओ वर्ग १, अ० १
(ख) प्रश्नव्याकरण अधर्मद्वार ४०. भगवतोऽप्यत्र मर्त्यलोकेऽवतीर्णस्य षोडशसहस्राण्येकोत्तरशतानि स्त्रीणामभवत् ।
-विष्णुपुराण
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