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भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण
बलभद्र ने गौकुल जाकर श्रीकृष्ण के सामने ही यशोदा से कहाजल्दी स्नान कर ! क्यों इतना विलम्ब कर रही है। तू अपने शरीर को ही संभालने में भूली हुई है । अनेक बार कहने पर भी अपनो आदत नहीं छोड़ती ! ___चिरकाल तक साथ-साथ रहने पर भी बलभद्र ने यशोदा से ऐसे कटवचन कभी नहीं कहे थे। इस कारण यह वचन सुनकर वह बहुत ही चकित और भयभीत हुई । उसने बलभद्र से कुछ भी नहीं कहा किन्तु उसके नेत्रों से आंसू निकल आये । वह चुपचाप शीघ्र स्नान कर भोजन बनाने लगी। इधर बलभद्र और श्रीकृष्ण दोनों स्नान के लिए नदी पर चले गये ।४२
वहां श्रीकृष्ण के म्लान मुख को देखकर बलभद्र कारण पूछते हैं । तब कृष्ण कहते हैं- मेरी माता यशोदा को तुमने ऐसे कठोर शब्द क्यों कहे ? प्रत्युत्तर में बलभद्र कृष्ण को माता पिता आदि का सम्पूर्ण परिचय देते हैं। स्नान कर पुनः घर आते हैं और भोजन कर वस्त्रादि पहन मथुरा जाते हैं।४४ ___ इस प्रकार हम देखते हैं कि त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र के अनुसार कालिय नाग की घटना जिस दिन घटित होती है उसी दिन श्रीकृष्ण मथुरा जाते हैं। हरिवंशपुराण के अनुसार वह घटना पहले होती है । कंस की प्रेरणा से कमल के लिए कृष्ण के जाने की घटना भी त्रिषष्टिशलाकापुरुष में नहीं है। पद्मोत्तर और चंपक वध :
श्रीकृष्ण और बलभद्र दोनों ही भाई गोप बालकों से घिरे हुए मथुरा नगरी के मुख्य द्वार पर पहुँचे । उस समय द्वार पर ही कंस ने पद्मोत्तर और चम्पर्क नामक हाथी तैयार करवा रखे थे। महावतों को आज्ञा दे रखी थी कि नन्द के पुत्र कृष्ण और बलभद्र ज्यों ही प्रवेश करें त्यों ही उन्हें हाथी से कुचलवा कर मार डालना । महावत की प्ररणा से पद्मोत्तर नामक हाथी श्रीकृष्ण की ओर लपका।
४२. हरिवंशपुराण ३६-१६ से १८, पृ० ४६१ ४३. हरिवंशपुराण ३६।१६ से २५, पृ० ४६२ ४४. वहीं० ३६।२६ से ३०, पृ० ४६२
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