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गोकुल और मथुरा में श्रीकृष्ण
२०५ आवश्यक कार्य हेतु पड़ौसी के घर गई । उस समय सूर्पक विद्याधर का पुत्र अपने पिता के वैर को स्मरण कर यह वसुदेव का पुत्र है' ऐसा सोचकर जहां श्रीकृष्ण खेल रहे थे वहां पर आया और विद्या के बल से उसने दो अर्जुन जाति के वृक्षों का रूप बनाया । श्रीकृष्ण उस वक्ष के बीच में से गये और उन्होंने उस वृक्ष के टकड़े-टुकड़े कर दिये । श्रीकृष्ण के अपूर्व बल से वह उसी क्षण मर गया। श्रीकृष्ण के पेट में डोरी बांधी जाती थी, अतः वे दामोदर के नाम से भी विश्रुत हुए।१९ आचार्य जिनसेन ने जमल और अर्जुन को देवियां मानी हैं ।२० श्रीमद्भागवत में भी यमलार्जुनोद्धार की कथा विस्तार के साथ दी गई है।२१ १८. सा खेचर्येकदोपेत्य पूतना नन्दगोकुलम् ।
योषित्वा माययात्मानं प्राविशत्कामचारिणी ॥ ४ ॥ वालग्रहस्तत्र विचिन्वती शिशून् ।
यदृच्छया नन्दगृहेऽसदन्तकम् ।। बालं प्रतिच्छन्ननिजोरुतेजसं।
ददर्श तल्पेऽग्निमिवाहितं भसि ।। ७ ॥ तस्मिन्स्तनं दुर्जरवीर्यमुल्वणं ।
घोराङ्कमादाय शिशोर्ददावथ ।। गाढं कराभ्यां भगवान्प्रपीडय त
त्प्राणः समं रोषसमन्वितोऽपिबत् ॥ १० । निशाचरीत्थं व्यथितस्तना व्यसु
ादाय केशांश्चरणौ भुजावपि ॥ प्रसार्य गोष्ठे निजरूपमास्थिता । वज्राहतो वृत्र इवापतन्नृप ।। १३ ।
-श्रीमद्भागवत १०।६।४ से १३ १६. (क) तौ धूलिधूसरं कृष्णं मोहान्मूनि चुचुंबतुः । दामोदरेत्यूचिरे च तं गोपा दामबंधनात् ॥
-त्रिषष्टि० ८।५।१४१ (ख) भव-भावना गा० २२११-२२१५ २०. यशोदया दामगुणेन जातु यदृच्छयोदूखलबद्धपादः । निपीडयन्तौ रिपुदेवतागौ न्यपातयन्तौ जमलार्जुनौ सः ॥
- हरिवंशपुराण ३५४४५, पृ० ४५३
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