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________________ कंस : एक परिचय जैन परम्परा के संदर्भ के : उस समय भद्दिलपुर नगर में नाग सेठ की सुलसा नामक स्त्री थी, ३४ वह मृत बच्चों को जन्म दिया करती थी, अतः उसने हरिणैगषी देव की उपासना की । उस पर देव प्रसन्न हुआ । देव देवकी के बच्चों को सुलसा के वहाँ पर रख देता था और सुलसा के मृत बच्चों को देवकी के वहाँ पर रख देता था । देवकी के छहों पुत्र सुलसा के वहां पर अभिवृद्धि को प्राप्त हुए उनके नाम १ अनीकयश, २ अनन्तसेन, ३ अजितसेन, ४ निहतारी, ५ देवयश और ६ शत्रु सेन हुए । ३५ जिसका विशेष परिचय अरिष्टनेमि के प्रकरण में दिया गया है । देवकी के मृत छहों पुत्रों के साथ कंस ने नृशंसतापूर्वक बर्ताव किया । कंस अत्यन्त प्रमुदित था कि मेरा प्रयास पूर्ण सफल रहा । ३४. इतश्च भद्दिलपुरे श्रेष्ठीभ्यो नाग इत्यभूत् । श्रेष्ठिनी सुलमा नाम परमश्रावकौ च तौ ॥ ३५. त्रिषष्टि० ८।५।६०-६७ Jain Education International For Private & Personal Use Only १६५ - त्रिषष्टि० ८५८१ www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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