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________________ प्रकाशकीय भगवान् अरिष्टनेमि और कर्मयोगी श्रीकृष्ण : एक अनुशीलन ग्रन्थ प्रकाशित करते हुए हमें अत्यन्त प्रसन्नता है । प्रस्तुत ग्रन्थ की सामग्री, विषयवस्तु तथा प्रतिपादन शैली सर्वथा मौलिक, अन्वेषणा प्रधान एवं प्रभावोत्पादक है । लेखक ने शताधिक ग्रन्थों के प्रकाश में जो प्रामाणिक सामग्री प्रस्तुत की है, वह प्रबुद्ध पाठकों के दिल को लुभाने वाली है । भगवान् अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण पर जैन, बौद्ध और वैदिक दृष्टि से लिखी गई यह प्रथम पुस्तक है । लेखक ने ग्रन्थ को लिखने में अथक परिश्रम किया है । लेखक की भाषा शैली सरल, सरस व प्रवाहपूर्ण है । गंभीर से गंभीर विषय को वह इतने सुन्दर रूप से ललितभाषा में प्रस्तुत करते हैं कि पाठक पढ़ते-पढ़ते आनन्द विभोर हो जाता है । ग्रन्थ की प्रत्येक पंक्ति में लेखक का गंभीर अध्ययन व विराट् चिन्तन स्पष्ट रूप से झलक रहा है । लेखक मुनि श्री के ग्रन्थ अनेक संस्थाओं से प्रकाशित हुए हैं । प्रकृत ग्रन्थ को प्रकाशित करने के लिए अनेक संस्थाएं प्रस्तुत थीं, हमने श्रद्धय गुरुदेव श्री से विनम्र प्रार्थना की कि प्रस्तुत ग्रन्थ का प्रकाशन हमारी संस्था से होना चाहिए | श्रद्धेय गुरुदेव श्री ने हमारी प्रार्थना को सन्मान देकर ग्रन्थ हमें प्रकाशन के लिए प्रदान किया तदर्थ हम श्रद्धेय गुरुदेव श्री के और देवेन्द्र मुनि जी के अत्यन्त आभारी हैं । ग्रन्थ के प्रकाशन में जिन दानवीरों ने उदारता से आर्थिक सहयोग प्रदान किया है उनका हम हृदय से आभार मानते हैं, उनके अर्थ सहयोग के कारण ही हम ग्रन्थ को शीघ्र ही प्रकाशित कर सके हैं। साथ ही मुद्रणकला की दृष्टि से पुस्तक को चमकाने का कार्य हमारे परम स्नेही श्रीचन्दजी सुराना ने किया है । हम उनके सहयोग को कदापि विस्मृत नहीं हो सकते । Jain Education International अध्यक्ष डालचन्द नाथुलाल परमार श्री तारक गुरु जैन ग्रन्थालय For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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