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________________ पृथ्वी गोल नहीं चपटी है। [ १२५ भू-मध्यरेखा दक्षिणमें समस्त देशांतर-रेखायें यह पश्चिमी और उत्तरी अफ्रीका, उत्तरी उत्तरी भागके समान सँकरी न होकर चौड़ाई में अन्ध महासागर, ग्रीनलेण्ड, आइसलेण्ड, उत्तरी बढ़ती ही जाती हैं। यहां कोई काल्पनिक एशिया (साइबेरिया) और ब्रिटिश अमेरिकाके आधार नहीं किन्त अवलोकनीय सत्य है। पूर्ण भागोमें स्पष्ट दिखाई पड़ा था । कर्करेखा (२३॥ अंश उत्तर, का एक ___ यदि पृथ्वी गोल होती तो अमेरिका और अंश ४५ मीलके लगभग है, किन्तु इससे विप एशियामें कभी एकसाथ यह ग्रहण दिखाई रीत मकर रेखा २३॥ अंश दक्षिण) पर वही न पड़ता। अंश ७५ मीलके लगभग होता है । यही नहीं, पृथ्वीका गोला लेकर इस सरल समस्या दक्षिणकी एटलांटिक सरकिल पर तो यह माप पर स्वयं ही विचार किया जाता है या जाना बढ़कर १०३ मील हो जाता है। जा सकता है। और देखिये-- (७) उत्तर ध्रुवका समुद्र १०,००० से (९) प्रयोगोंसे सिद्ध है कि ज्यों ज्यों हम लेकर १३,००० फुट तक गहरा है, किन्तु | उत्तरी ध्रुवकी और बढ़ते त्यों त्यों पृथ्वीको आकपृथ्वी तल कहीं भी ५०० फुटसे ऊँचा नहीं है। र्षण शक्ति भी उत्तरोत्तर बढ़ती प्रतीत होती है। ____ यदि केप्टन रास वर्णनसे इसकी तुलना ____ उत्तरी ध्रुवके अन्वेषकोंका यह कहना है की जाय तो ज्ञात होगा कि दक्षिणी ध्रुवके कि वे वहां कठिनतासे १०० पौंडका भार ऊठा पहाड़ १०,००० से १६,००० फुट तक ऊँचे सकते थे, किन्तु दक्षिणी-ध्रुवके अन्वेषक इसके विपरीत यह कहते हैं कि उन्होंने वहां ३०० है और समुद्र की गहराई ४२३ फुट है। पौंडसे ४०० पौंड तकका भार सरलता से इस प्रमाणसे सिद्ध होता है कि पृथ्वी उठाया है। मध्यकी अपेक्षा उसका किनारा अधिक उन्नत ____ यदि पृथ्वी गोल होती तो दक्षिण ध्रुव भी हैं, पृथ्वीको तुलना रकाबीसे की जाती है। उत्तरी ध्रुवके समान ही प्रबल होता। । इन्हीं सब बातों पर विचार करनेसे भूगर्भ- (१०) समुद्रादिमें लोहचुंबक पहाड़ ऐसे शास्त्रीयोंने नाशपाती (पीयर) से पृथ्वीकी उपमा हैं कि होकायंत्रकी चुंबक सूईके भरोसेमें हम दी है । क्योंकि उन्होंने जान लिया है कि यह | भ्रममें रहकर पृथ्वी गोल होनेका भ्रम और इतनी उत्तरी ध्रव पर चिपटी है और दक्षिण ध्रुवकी | करीब ८००० मील होनेका मान लिया हैं। और खिंची हुई है । वे लोग स्पष्टतः क्यों नहीं | हमारी पृथ्वीको बहुत बड़ा चुंबक माना गया कहते कि पृथ्वीका आकार रकाबीके समान है ? | है और इसी चुंबक-शक्तिसे प्रभावित होकर सूई (८) पृथ्वीके चपटेपनका एक और प्रमाण | उत्तर ध्रुवको आकृष्ट होती है। सूर्यग्रहण है। उदाहरणार्थ ३० अगस्त सन् | ऐसी दशामें यदि पृथ्वी गोल हो तो भू१९०५ ई०का ही ग्रहण लीजिये । | मध्यरेखाके दक्षिणमें जाने पर चुम्बककी सूई Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003177
Book TitleTattvagyan Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherVardhaman Jain Pedhi
Publication Year1982
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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