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________________ ११२ ] तत्त्वज्ञान-स्मारिका 'पृथ्वी से परे दूसरे ग्रहों-उपग्रहों पर जीवन उस महिला का उक्त पुस्तक में इस प्रकार है। वहीं विकसित सभ्यता विद्यमान है।' वर्णन मिलता है : विज्ञान की अन्तरिक्ष-जगत् की विस्मयकारी "शुक्र-ग्रह पर जीवन की कला सीखना ही खोजों ने आधुनिक तर्कवादी मनुष्य को यह मुख्य प्रवृत्ति है । वहाँ पृथ्वी के समान कोई मानने के लिए विवश कर दिया है कि - धंधा-रोजगार नहीं है । वहाँ रात-दिन नहीं हैं, सृष्टि अति विशाल एवं विराट् है तथा सुदूर पर सदा अत्यन्त तेजस्वी प्रकाश रहता है - ब्रह्मांड में जीवनवाले अनेकानेक ग्रह-उपग्रह इतना अधिक तेजस्वी कि अधिक से अधिक हैं जिनमें विकसित सभ्यताएँ हैं । प्रकाशित दिन में भी हमारी पृथ्वी 'अन्धकारा____ अमरिका के प्रख्यात खगोल वैज्ञानिक डॉ. च्छन्न गृह' के समान लगती है।" कार्लसागान अन्य ग्रहों पर जीवन का अस्तित्व 1. I asked her what went on अनिवार्य मानते हैं। venus,, and she replied that instu dion in the art of living was the उनकी यह मान्यता अनेक वैज्ञानिक-तथ्यों main activity, also she indicated पर आधारित है । that work as we know it on Earth श्रीलंका में जन्मे अमेरीकी वैज्ञानिक डॉ. did not exist on that planet. The सीरिल ने अनेक तर्कों द्वारा यह सिद्ध किया medium informed us that the light on Venus was constant and extremely है कि - brilliant, so brilliant, in fact, that our Earth was described as the अस्तित्व है।" dark planet even on its brilliant day. ___ अब जरा परामनोविज्ञान-वेत्ताओ की उन -'The Power within,' page-180 रिपोर्टों के कुछ पृष्ठों को पलटें, जिनमें देवलोक देवलोक के अस्तित्व की एक और साक्षी के अद्भुत वर्णन अंकित है। | डॉ. केनन ने अपनी पुस्तक में इस प्रकार ये वर्णन बताते हैं कि प्रस्तुत की हैदेवलोक की कल्पना मनगढंत नहीं है __अमरिका के प्युब्लो-कोलोरडो की एक अपितु पूर्ण सत्य है। गृहिणी रथ सिमोन्स ने 'एज रिग्रेशन' के प्रयोग __डॉ. एलेक्झेण्डर केनन ने अपनी विश्व- | के समय अपने पूर्व जन्म का व्यौरा देते हुए विख्यात पुस्तक 'दि पोवर विहीन' ( The_ कहा किPower Within ) में एक ऐसी महिला का मैं 'एस्ट्रल वर्ल्ड' अर्थात् देवलोक में हैं। वर्णन किया है - यहां हमें खाने की या सोने की आवश्यजो अपने पूर्व जन्म में देवयोनि में जन्मी थो। कता नहीं होती और थकान भी नहीं लगती। उपग्रहों पर जीवन का |or Parth was described a Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003177
Book TitleTattvagyan Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherVardhaman Jain Pedhi
Publication Year1982
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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