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________________ श्रीविजयानंदसूरिकृत [१ जीव____ भवनपति व्यंतरनो अवधिज्ञान ऊंचा घणा अने और देवताके नीचा घणा तथा नारकी, जोतिषीने तिरछा षणा अने मनुष्य, तिर्यचने ऊंचा बी हुई अने नीचा बी होवे अने थोडा वी होवे अने घणा बी होवे; तिस वास्ते विचित्र कहा. इति संस्थानद्वार ३. . हिवै चौथा अनुगामीद्वार. अवधिज्ञान दो प्रकारे है. एक अनुगामिक १ अननु. गामी २. जिस पुरुषकू अवधिज्ञान उपना ते पुरुषके साथ ही अवधिज्ञान चाले, अलगन रहे; जिम हस्तगत दीवा जिहां जाय तिहां साथ ही आवे तिम अवधिज्ञान पुरुषके साथ ही आवे ते 'अनुगामिक'; अने जे अवधि पुरुषको जौनसे क्षेत्रे उपना है ते अवधिज्ञान तिस हीज क्षेत्रे रहै, पुरुष साथ अन्यत्र जगे न जाय जिम सांकले बांध्या दीवा जिहां है तिहां ही रहै तिम ते अवधिज्ञान जिस क्षेत्रे उपना तिहां ही प्रकाश करे, पुरुष चले साथ न चले अने तेही पुरुष जदि फिरकर तिस ही क्षेत्रमे आवे तदा अवधिज्ञान फेर होवे ते 'अननुगामिक' अवधिज्ञान कहीये. हिवे तेहना स्वरूप लिखीये है अनुगामी १ अननुगामी २ मिश्र ३ मिश्र कया कहीए ? जे अवधिज्ञान उपना एक पासेका तो तिहां ही रहै अने दूजे पासेका पुरुषके साथ चाले ते 'मिश्र' अवधिज्ञान कहीये. फिरकर तिस ही क्षेत्रमे आवे तो चारो ओर फेर देखने लगे है. एह अवधि मनुष्य, तिर्यचने होता है. ए अनुगामी द्वार ४. (५२) हिवे अवस्थित द्वार पांचमा कहीये है. | क्षेत्र आधी | उपयोग आश्री गुण आश्री । पर्याय आश्री लब्धि आश्री स्थिति | स्थिति १ स्थिति २ . स्थिति ४ । स्थिति ५ अवधि-३३ सागरोपम अंतर्मुहूर्त उपरांत आठ समयसे | पर्याय सात लब्धि आश्री शानकी अनुत्तर विमानके एक द्रव्यमे उप- उपरांत गुणमे | समय प्रमाण ६६ सागर पांच प्रकारे देवता आश्री योग नही रहै है| उपयोग नही | उपयोग रहै । साधिक हिवै चल द्वार ६-जे अवधिज्ञान वधे वी अने घटे बी ते 'चल' अवधिज्ञान कहीये. ते छ प्रकारे वधे अने छ प्रकारे हान होय ते. ___(५३) यंत्रसे स्वरूप हान अने घृद्धिका जाननासंख्या ....... असंख्य | संख्यात | संख्यात | असंख्य भाग २ भाग ३ । अनंत गुण गुण ५ असत् १०० १०० अधिक १०० १०० कल्पना ९९ असत् ९९ ९८ कल्पना १०० १०० ९० हीन १०० १०० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003176
Book TitleNavtattvasangraha tatha Updeshbavni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Hiralal R Kapadia
PublisherHiralal R Kapadia
Publication Year1931
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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