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श्रीविजयानंदसूरिकृत
[१ जीव
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क्षेत्रथी जाणे
ते कालथी कितना जाणे? भरतक्षेत्र परिमाण देखे
अर्ध मास कालथी जंबूद्वीप देखे ते
एक मास झाझेरा अढाइ द्वीप परिमाण देखे
एक वर्ष कालथी रुचक द्वीप तेरमा
पृथक् वर्ष संख्याते द्वीप देखे ते
संख्याता कालकी वात १४ - संख्याते वा असंख्य द्वीप १४ कालथी असंख्य काल
संख्याते योजन परिमाण द्वीप समुद्र असंख्याते देखे असंख्य योजन परिमाण द्वीप संख्याते देखे.
हिवै द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव एह चारोमे वृद्धि हुइ कौनसेकी वृद्धि हुइ अने कौनसे की न हुइ ते (४४) यंत्रम्काल वधे क्षेत्र वधे द्रव्य वधे
पर्याय वधे द्रव्य , क्षेत्र काल भजना काल भजना
काल भजना द्रव्य वधे भाव , भाव , पर्याय वधे
द्रव्य " इस यंत्रका भावार्थ-काल आश्री जिवारे अवधिज्ञान वृद्धि हुई तदा क्षेत्र, द्रव्य, पर्याय एह तीनो वधे अने क्षेत्रकी वृद्धि हुये कालकी भजना कहनी-बधेवी अने नही वी वधे. किस वास्ते ? क्षेत्र अतिसूक्ष्म है अने काल स्थूल-मोटा कह्या है तिस वास्ते जो घणा क्षेत्र वधे तो काल वधे अने जो थोडा क्षेत्र वधे तो काल कुछ भी नही वधे इति भावः. वली क्षेत्रनी वृद्धि होय तो द्रव्य अने पर्याय निश्चय ही वधे. किस वास्ते ? क्षेत्रथी द्रव्य अतिसूक्ष्म है. एक आकाशप्रदेश क्षेत्रमे अनंता द्रव्य समा रहा है. अने द्रव्यथी पर्याय अतिसूक्ष्म है. कसात् ? एक द्रव्यमे अनंती पर्याय पीत रक्त आदि है तिस वास्ते क्षेत्र वधे द्रव्य, पर्याय दोनो वधे. तथा द्रव्य अने पर्यायके वधे क्षेत्र कालके वधनेकी भजना. द्रव्य अने पर्याय सूक्ष्म है अने क्षेत्र काल मोटा है इस वास्ते वधे अने नही पिण वधे. तथा द्रव्य वधे पर्याय निश्चय वधे अने पर्याय वधे द्रव्य वधे वी अने नही पिण वधे.
१ शाथी।
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क्षेत्र
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क्षेत्र
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