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जीव ओघे
जीव अघि
५शान
भजना
३भजना
२नि
२०
३भ
३भ
२६
तत्त्व] नवतत्त्वसंग्रह
४३ (३२) (गति वगैरेमे ज्ञान अज्ञान, भगवती श०८, उ० २, सू० ३१९-३२१)
३ अज्ञान || पृथ्वी आदि
२नि | भजना
५ काय नारकी भवन
त्रसकाय पति व्यंतर ३ नियमा
अकाय जोतिषी वैमानिक
सूक्ष्म पृथ्वी आदि ५ . २नि
बादर ५भ २३ । विगलेंद्री३ | २नि । २नि
नोसूक्ष्मनो
१नि
बादर तिर्यंच पंचेंद्री
जीव पर्याप्ता ५भ मनुष्य
३भ
पर्याप्ता नारक सिद्ध
३नि ३ नि १नि
भवनपति वाटे वहते
व्यंतर जोतिषी ३ अज्ञान
ज्ञान पांच गतिना
वैमानिक
पर्याप्ता नरक गति
३भ देवगति ३ नि
पृथ्वी आदि ५ २०
पर्याप्ता तिर्यंच गति २नि २नि
विगलेंद्री
२३ मनुष्यगति ३भ - २नि
पर्याप्ता
पंचेंद्री तिर्यंच सिद्धगति १नि
२४
३भ
पर्याप्ता इन्द्रिय ज्ञान | अज्ञान
मनुष्य पर्याप्ता । ५भ ३भ . सइंद्री ४भ ३भ
अपर्याप्ता जीव ३भ ३भ एकेंद्री
२नि
अपर्याप्त नरक ३नि बेंद्री, तेंद्री चौरेंद्री ३
व्यंतर अपर्याप्ता
पृथ्वीकाय पंचेंद्री ४भ ३भ
आदि ५
२ नि अनिंद्री १नि
अपर्याप्ता
बेंद्री, तेंद्री, काय
अज्ञान चौरेंद्री २नि
२नि सकाय । ५भ । ३भ
अपयोप्ता १ नारक, भवनपति अने व्यंतरमांत्रण अज्ञाननी भजना।
22 PM
भवनपात । ३नि
२ नि
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