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नवतत्त्वसंग्रह
नाम |
कृष्ण लेश्या | नील लेश्या कापोत लेश्या तेजोलेश्या पद्म- शुक्ललेश्या
गामी सुगतिगामी
गति १० दुर्गतिगामी | दुर्गतिगामी | दुर्गतिगामी सुगतिगामी
आयुने अंते है | अंतमुहूर्त शेष आयु थाकते नर भव जहां जाता तिस भव आयु ११ न करे तदा | सदृश लेश्याका स्वरूप होवे तिस लेश्याके प्रथम समय अथवा
चरम समय काल अंतर्मुहूर्त लेश्या वीती है अने अंतर्मुहूर्त ही है खंध १२ अनंत प्रदेशी अनंत प्रदेशी | अनंत प्रदेशी अनंत | अनंत | अनंत
प्रदेशी प्रदेशी प्रदेशी अवगाहना
असंख्य असंख्य असंख्य असंख्य प्रदेश | असंख्य प्रदेश असंख्य प्रदेश
| प्रदेश प्रदेश प्रदेश वर्गणा १४ अनंती वर्गणा एवम् । एवम् एवम्
एवम् अल्पबदुत्व ३ असंख्य गुणी
४ असंख्य द्रव्यार्थ वर्गणा २ असंख्य गुणी० १ स्तोक
गुणी
गुणी प्रदेशा १५ विशुद्ध १६) ___ अविशुद्ध । अविशुद्ध अविशुद्ध | विशुद्ध | विशुद्ध | विशुद्ध
| असंख्य ६ असख्य
| गुणी
अप्रशस्त
अप्रशस्त
अप्रशस्त
प्रशस्त | प्रशस्त प्रशस्त
शान १८ | २।२।४ । २।३।४ । २।३।४ २।३।४ २।३।४।२।३।४।१ क्षेत्र १९
। २ बहु ३ बहु । ४ बहु | ५ बहु ६ बहु ऋद्धि २० १ स्तोक
| ३ बहु । ४ बहु । | ५ बहु | ६ बहु
१ स्तोक अल्पबहुत्व ७ विशेष | ६ विशेष ५ अनंत गुण | ३ संख्या २ संख्या ६ अलेश्यी
| ४ अनंत अथ स्थितिका खुलासा-समुच्चय कृष्ण लेश्याकी स्थितिमे ३३ सागरोपम अंतमहत अधिक ते पूर्वापर भवनी अपेक्षा है. अने नारकीने ३३ सागरोपम पूरी कही ते नरक भवनी अपेक्षा सूत्र है. इसी तरेह देवतानी लेश्यामे पद्म आदिकमे तिस भव अने पूर्वापर भवनी अपेक्षा सूत्रकारनी विवक्षा है. एह समाधान उत्तराध्ययनकी अवचूरिसें जान लेना.
___ भाव थकी १६ बोलकी (का) अल्पबहुत्वम् १ जीवके योगस्थान जघन्य आदि सर्वसे स्तोक. २ एकेक कर्मप्रकृतिके मेद असंख्य गुणे,
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