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१९८ श्रीविजयानंदसूरिकृत
[८ बन्ध(१४४) वैक्रियना सर्वबंधादि संबंधी अल्पबहुत्व अल्पबहुत्व देशबंध । सर्वबंध
अबंधक असंख्यगुणा २ १ स्तोक
अनंतगुणा ३ इति वैक्रिययत्रचतुष्टयम्. (१४५) आहारक शरीरना प्रयोगबंधनी स्थिति सर्वबन्धस्थिति
देशबन्धस्थिति आहारक मनुष्य
ज० १ समय ज० अंतर्मुहूर्त, उ० अंतर्मुहूर्त (१४६) अंतर सर्वबन्धान्तर
देशबन्धान्तर ज० अंतर्मुहूर्त, उ० देश ज० अंतर्मुहूर्त, उ० देश आहारक अंतर
ऊन अर्ध पुद्गलपरावर्त । ऊन अर्ध पुद्गलपरावर्त
(१४७) अल्पबहुत्व सर्व० देश० अबन्ध आहारककी अल्पबहुत्व देशबन्ध
सर्वबन्ध
अबन्धक संख्यात गुणे २ । सर्व स्तोक १ - अनंत गुणे ३
इति आहारकयंत्र तीन. (१४८) (तैजस शरीर)
देशवन्धस्थिति तैजस शरीर
अनादि अपर्यवसित, अनादिसपर्यवसित
देशबन्धान्तर तैजस
दोनाका अंतर नही देशबन्ध
अबन्धक तैजस शरीर अनंत गुणा २
सर्व स्तोक १ अल्पबहुत्व (१४९) (कार्मण शरीर)
देशवन्धस्थिति कार्मणशरीरस्थिति
अनादि अपर्यवसित, अनादि सपर्यवसित
देशबंन्धान्तर कार्मण
दोनाका अंतर नही ३ देशबन्ध
अबन्धक कर्म ७ अनंत गुणा २
सर्व स्तोक १ अल्पबहुत्व आयु अल्पबहुत्व
१ स्तोक
संख्यात गुणा २
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