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श्रीविजयानंदसूरिकृत
[ ६ संवर
पर्वत चलता है, रस्ता चलता है. (८) भाव - 'भाव' सत्य. जैसे तोतेमे पांच वर्ण है तो पिण तोता हर्या है. (९) जोग - 'योग' सत्य. जैसे दंडके संयोगसे दंडी कहीये; छत्रसे छत्री. (१०) उवमासच्चे - 'उपमा' सत्य, चंद्रवत् वदन, समुद्रवत् तडाग. असत्य यंत्रम् - कोहनिस्सिया - क्रोध के उदय बोले. माननिस्सिया- मानके स्सिया – माया के उदय बोले. लोहनिस्सिया - लोभनिश्रित बोले. उदय बोले. दोसनिस्सिया-द्वेषके उदय बोले. हासनिस्सिया - हास्यके अक्खायनिस्सिया - विकथा करी
निस्सिया - भयके उदय बोले. हिंसाकारी वचन. ( ११७)
मिश्र भाषा पा.
अर्थ
१ उप्पन्नमिसि (स्सि ?)या इस गाममे दस वालक जन्मे है
२ वियमिसिया
| इस गाममे दस जन्मे
३ उपपन्नविगयमिसिया है, दस (की) मृत्यु हो है
४ जीवमिसिया
.५ अजीवमिसिया
इस गाममे आज दसजणे मरे है
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एकचा (त्र) सर्व जीव है।
अन्नकी रास देखके कहै ए तो अजीव है.
मिश्र भाषा पा.
अर्थ
६ जीवाजीवमिसिया जीव, अजीव दोनो की मिश्र भाषा बोले
७ अनंतमिसिया
उदय बोले. मायानिपेज निस्सिया - रागके उदय बोले. भयउवधाय निस्सिया -
९ अद्धामि सिया
८ परत ( रित्त) मिसिया प्रत्येककुं अनंतकाया कहै
मूली आदिक कंदो मे अनंते जीव है सो 'प्रत्येक' जीव कहै.
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ऊठ रे दिन चढ्या पहरके तडकेसे कहै
घणे कालका जूठ; घडी १० अद्धद्धा मिसिया एक रात गये (रो) दिन ऊगा कहै.
व्यवहार भाषाके बारां भेद
(१) आमंताणि - हे भगवन्. (२) आणवणि - इह काम कर तथा यह वस्तु लाव. (३) नायणि - यह हमें देउगे. (४) पुच्छणि- ग्राम आदिनो मार्ग पूछणा. (५) पन्नवणि - धर्म ऐसे होता है, (६) पच्चक्खाणी - यह काम हम नही करेंगे. (७) इच्छाणुलोम - अहासुह देवानुप्रिय. (८) अणभिग्गहिया - अगलेका कथा ठीकतरे समजे न. ( ९ ) अभिग्गहिया- मुझे ठीक है. (१०) संसयकारण - खबर नही क्यों कर है. (११) वोगडा - प्रगट अर्थ कहै, (१२) अवोगडा - अप्रगट अर्थ.
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