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________________ तत्त्व] नवतत्त्वसंग्रह (१०१) भगवती (श. २५, उ. ४, सू. ७४४, पृ. ८८५) | परमाणु १ संख्यात प्रदेश २ असंख्य प्रदेश ३ अनंत प्रदेश ४. देशैजा . । ७ असंख्य ८ असंख्य । ३ अनंत सर्वजा ६ असंख्य __५ , अनंत (? असं.) १ स्तोक | ११ असंख्य २ अनंत गुणा निरेजा देशैज cG | सर्वैज निरेज १ स्तोक २ अनंत Barack Fort Rai | देशैज सर्वैज ११ असंख्य १६ निरेज ७ अनंत १७संख्यात । १९ असंख्य | ३ अनंत देशैज सवज अचला निरेज (१०२) परमाणुपुद्गल सैज निरेज (अल्पबहुत्व) भग० श. २५, उ. ४(सू.७४४) परमाणु यावत् असंख्यः । अल्पबहुत्व अनंतप्रदेशी स्कंध प्रदेशी स्कंध चला १ स्तोक १ स्तोक (?) २ असंख्य गुण ___ २ अनंत गुणा (?) (१०३) अल्पबहुत्व अल्पबहुत्व | परमाणु संख्यातप्रदेशी असंख्यातप्रदेशी अनंतप्रदेशी सैजा ३ अनंत गुण ४ असंख्य गुणा ५ असंख्यात | २ अनंत गुण निरेजा | ६ असंख्य ७ संख्य , १ स्तोक सैजा अप्रदेश० - ३असंख्य, २ अनंत गुणा प्रदेशार्थे निरेजा १ स्तोक सैजा ५ अनंत - ६ ३ अनंत द्रव्याथै निरेजा । १० असंख्य | ११ | १ स्तोक सैजा ४ अनंत प्रदेशार्थे निरेजा ___ , | १४ १ मा संबंधी उल्लेख विचारणीय जणाय छ । द्रव्यार्थे १३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003176
Book TitleNavtattvasangraha tatha Updeshbavni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Hiralal R Kapadia
PublisherHiralal R Kapadia
Publication Year1931
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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