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(९०) भगवती शते १२ मे, उद्देशक १०मे पुद्गलभंग (९१) भगवती शते ८ उद्देशे १०मे पुद्गलके भंग ८ १ सद्भाव २ जसद्धाव
द्रव्य देश
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दवाई |" अस
छवदेसा ६ अस "
૨૩.
दव्यं बदम्बईसे 0 . ७ " अस
१२२.
दव्वंच देखा 00 ८स असस
११२
दब्वाइंचवम्बदेसेय 80 ।१०/" " "
११३
दम्बाइं न दम्बदेसायं 8 | ११ | " अस"
भगवती ५ मे शते उद्देशे ७ मे भंग ९ १२ अस स अस
देसेणं देसं फुसड़ १३स असस
१२३ १४in
११२२
देस
सव्व १६ अस" अस "
૨૨૩.૩.
देस १७स " " " १८असस अस
१२२३
११२३ २०" " असस १२२३३
सच्चेण २१"स अस स " ११२३३ २२ " अस स अस " ११२२३
सन्वं २३/" "स अस स ११२२३३
૨૨૩
४ । दसहि
१२.३३
सन्न
देस
दस
(९२) भगवती शतक५मे उद्देशे ७ स्पर्शनायन्त्रम्
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। परमाणु-पुद्गल
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द्विप्रदेशी स्कंध
परमाणु-स्पर्श द्विप्रदेशी स्कंध तिप्र. स्पर्श पर स्पर्शे द्वि प्रदे. " तिप्रदे." पर. "
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103000
तिप्रदेशी"
तिप्रदेशीक.
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द्रव्य देश करके ८ भांगे है. सो परमाणुमे २ पावें - ११२; द्विपदेशीये भंग ५ पावें-१-५, त्रिप्रदेश में ५ भंग पावे-१-७; चार प्रदेशीम अंग ८ पा-१-८; एवं पांचसे लेकर अनंत
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