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________________ तत्त्व] नवतत्त्वसंग्रह ११५ उदयभंग रचना. प्रथम गुणस्थानमे २२ ने बंधे सात आदि ७८।९।१० उदयस्थान ४; इनका स्वरूप पीछे उदयस्थानमे लिख्या है सो जान लेना. इहां सातने उदयमे भंग २४ ते किम? हास्य रति पुरुषवेद १ अरति शोक पुरुषवेद २; एवं दो २; ए ही दो स्त्रीवेदसुं २, ए ही दो नपुंसकवेदसु, २, एवं ६ हुये ए ही ६ क्रोधसुं; एवं ६ मानसुं; एवं ६ मायासे; एवं ६ लोभसे एवं सर्व २४ हुये. हिवे आठने उदय तीन चौवीसी ३ ते किम ? अप्रत्याख्यान १, प्रत्याख्यान १, मिथ्यात्व १, संज्वलन १, एक कोइ वेद १, हास्य १, रति १; अथवा एहने ठामे अरति शोक इणमे भय घाले एतले आठने उदय एक चौवीसी; इम भय काढी जुगुप्सा घाले आठमे दूजी चौवीसी; जुगुप्सा काढी अनंतानुबंधीयासुं तीजी चौवीसी; एवं ८ ने उदय ७२ भंग. हिवै नवने उदय तीन चौवीसी ते किम? सातमे भय जुगुप्सा घाले ९. ए नवने उदय भय जुगुप्सा संघाते पीछे कह्या ते छ विकल्प क्रोध, मान, माया, लोभसे एक चौबीसी १; अथवा जुगुप्सा काढे भय, अनंतानुबंधीसुं नवने उदय दूजी चौवीसी २, अथवा भय काढी जुगुप्सा, अनंतानुबंधीयासुं तीजी चउवीसी ३; एवं भंग ७२. हिवै सातमे भय, जुगुप्सा, अनंतानुबंधी १ घाले १० ने उदय एक चौवीसी. पुरुषवेद आदिकसुं. हिवै २१ ने बंधे सात आदि ७८/९ लगे तीन उदयना ठाम. सातनो उदय अनंतानुबंधी १, अप्रत्याख्यान १, प्रत्याख्यान १, ए चार (?) ए कोइ एक कोइ वेद १, हास्य रति १, अरति शोक ए दोनोमे एक कोइ एवं ७. एही पाछला छ विकल्प क्रोध १, मान १, माया १ लोभसुं एक चउवीसी १; सातमे भय घाले आठनो उदय, भय संघाते एक चौवीसी १, भय काढी जुगुप्सासु एक चौवीसी एवं भंग ४८. सातमे भय, जुगुप्सा समकाले घाले नवनो उदय. नवने उदय एक चौवीसी. एसास्वादन गुणस्थानमे जाणवा. प्रथम सत्तराने बंधे मिश्र गुणस्थानमे तीन उदयना ठाम तिहां चौवीसी चार ते किम ? अप्रत्याख्यान १, प्रत्यख्यान १, संज्वलन १, एक कोइ वेद १, कोइ एक जुगल मिश्र; एवं ७ नो उदय. ध्रुव पाछला ६ विकल्प, क्रोध १, मान १, माया १, लोभसु छ गुणा एतले एक चौवीसी. सातमे भय घाले एतले आठने उदय पीछली परे एक चौवीसी १; भय काढी जुगुप्सासे आठने उदय दूजी चौवीसी २; सात मध्ये भय, जुगुप्सा समकाले घाले नवने उदय पाछली तरे एक चौवीसी १, एवं मिश्र गुणस्थाने ४ चउवीसी. हवै अविरतिने ६७८९ ए चार उदयठाम उपशम अथवा क्षायिक सम्यक्त्वना धणीने ए ६ ना उदय हुये अप्रत्याख्यान १, प्रत्याख्यान १, संज्वलन १, एक कोइ वेद १, एक कोइ युगल २; एवं ६ ने उदय एक चउवीसी. ए छ माहे भय घाले सातने उदय एक चउवीसी १, भय काढी जुगुप्सासे सातने उदय दूजी चउवीसी २; जुगुप्सा काढी वेदक सम्यक्त्वसुं सातने उदय त्रीजी चौवीसी ३; अप्रत्याख्यान १, प्रत्याख्यान १, संज्वलन १, वेद १, युगल ६; ए छ माहे भय, जुगुप्सा घाले एतले आठने उदय एक चौवीसी १; जुगुप्सा काढी भय, वेदक, सम्यक्त्वसुं आठने उदय दूजी चउवीसी २, भय काढी जुगुप्सा वेदकसु आठने उदय तीजी चौवीसी ३, अप्रत्याख्यान १, प्रत्याख्यान १, संज्वलन १, वेद १, युगल २, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003176
Book TitleNavtattvasangraha tatha Updeshbavni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Hiralal R Kapadia
PublisherHiralal R Kapadia
Publication Year1931
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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