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नबतत्वसंग्रह ..
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३।४।
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३४॥
ओज रोम कवल आहार ३
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सचित्त अचित्त मिश्र आहार ३ समवसरण
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जघन्य १३७ स्थिति बांधे आयु
जघन्य ८ कर्मकी
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मध्यम बंध आठ कर्म उत्कृष्ट बंध ८ कर्म आश्री
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मूल उदय १४२ मूलजदी१४३ मूल सत्ता ८८८८८८८८८000
बीजे गुणस्थानमे ८ कर्म की उदीरणा इस वास्ते कही है, उदीरणा ८ कर्मकी तब ताइ होइ है जब ताइ एक आवलिका प्रमाण उदय काल प्रकृतिका रह्या होइ अने जिवारे आवलिके माहे प्रवेश करे तिवारे उदीरणा नही होय अने तीजा गुणस्थान आवलि प्रमाण आयु शेष रहेसे पहेलेही आवे है आवलि प्रमाण आयु शेष रहै तीजा गुणस्थान ही आवे है, इस वास्ते ८ की उदीरणा सत्यं. ऐसे ही दशमे गुणस्थानमे मोहकी उदीरणा टली आवलिमे प्रवेश करे. असेही १२ मे ५ की तथा २ वेदनीय उपर इह संज्ञा न जाननी. इति अलं विस्तरेण...
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