________________
१०८
९८
९९
१००
१०१
१०२
१०३
१०७
१०९
संघयण ६
संस्थान ६
प्रत्याख्यानी १०४ अप्रत्याख्यानी
२
११०
१११
ईरियावहिया ३,७
भंग ८
८
सराग वीत
राग २
११२
efष्टद्वार ३
पर्याप्त अपर्याप्त
२
गुणस्थानमे काल करे
परभव साथ जाये
६
६
इन्द्रिय द्वार
५
गति जाये देवलोक
सराग
Jain Education International
मि
२
२
४
६
६
अप्र अप्र
२
३
७
स
१०५ सूक्ष्म बादर २
बादर
१०६ त्रस स्थावर २ त्र० स्था० त्र० स्था० त्र
गति कौनसीमे ?
स
१ २ ३ ४ ५
२
२१
४
काल करे करे
जाये जाये
श्री विजयानंद सूरिकृत
६
६
६ ६
६
६
શરાર ४५
३ ३
M 9
१२
७
स
ह
श्रि
१
अ
४
5
करे
नही
ल
स स
२ १
to
१ १ १
त्र
m 9
४
३ ७
स
१ १ १ १
no
५ ५
ल
० १२
ㄓˋ
६
१६
स
५
३
७ ७
स
१
प्र
१
त्र
६
३ ३
६ ६ ६
m 9
३
می
स
स
For Private & Personal Use Only
प्र
१
म 서
त्र
न जाये न न न न
Mm 9
३
७
परत अपरत १०८ संसारी
प्रथम गुणस्थानमे परत संसार हो जावे है, मेघकुमारके हाथी के भववत् ज्ञेयं.
5
.
स स
स स
१ १ १ १ १ १ १ १
प्र
ov
१
त्र
३ ३ १
७
७ ५
开
१
प्र
or
s
피
[ १ जीव
३
३ १ १ १
६ ६ ६ ६ ६
न न
#
५ ५
० १२ २१ २६०
क क क क क क क क न न क
०
3444
शा
२ २ ४
स स स स स
वीवी वी
प्र प्र प्र प्र प्र
१ १ १ १ १
१ १ १ १ १ १
त्र त्र त्र त्र त्र
S
0.
| | | |
न न न न
०
ܘ
० 0 0
www.jainelibrary.org