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नवतत्त्वसंग्रह
गति ४ मे जावे
मनुष्य देव
।
भंग सन्निपातके ६
सीन
छठो
एवम्
भाषक
८७ अभाष२ २
२
१ भा , २
१
१
१
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पढम अपढम
।
चरम अचरम
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भव्य अभव्य
आयुबंध
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करे
परिणामकी ९२ हान वृद्धि
एवम् ->तुल्य ए व म्→.
बंधी बंधति बंधिस्सति १, बंधी बंधति न बंधिस्सति २, बंधी न बंधति बंधिस्सति ३, बंधी न बंधति न बंधिस्सति ४,' ए चार भंग सर्व कर्म आश्री सर्व गुणस्थानमे विचार लेना.
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९४ वेदनीय आश्री ३
मोह आश्री
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भंग
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आयु आश्री
१२१३/१३/१३ ३ भंग स्वलिंग, अन्यलिंग, गृहि
लिंग, ३ द्रव्ये
... १ जुओ भगवती (श०, उ०८, सू० ३४३)। Jain Education International
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