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श्री विजयानंद सूरिकृत
[१] जीव
मोहनीयके दश बंधस्थानः तत्र २२ नो बंध किम् ? २८ माहेथी ६ काटे - सम्यक्त्वमोहनी १, मिश्रमोहनीय १, वेद २, हास्ययुगल २ अथवा अरतियुगल २, इनमे (से) एक युगल लीजे; एवं ६ टली. २१ के बंधे मिध्यात्व १ टली. १७ ने बंधे प्रथम चौकडी ४ टली. १३ ने बंधे दूजे चौकडी ४ टली. ९ ने बंधस्थाने तीजी चौकडी ४ टली. ५ ने बंधे ४ टलीहास्य १, रति १, भय १, जुगुप्सा १; एवं ४ नवमेके पहिले भागे ५ बांधे; दूजे भागमे पुरुषवेद टला; तीजे भागे संज्वलनक्रोध टला, चौथे भागे संज्वलनमान टला, पांचमे भागे माया टली.
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उदयस्थानमे पचानुपूर्वी समजना. दसमे एक संज्वलन लोभनो उदय एवं एक स्थान. नवमे संज्वलना एक कोइ उदय; एवं १. जो चार जगे एकेकका अंक लिख्या सो चार तरे (ह) उदय - क्रोध १ वा मान १ वा माया १ वा लोभ १. दोके उदयमे एक कोइ वेद घालीये तो २. अपूर्वकरणे हास्य १, रति १, घाले ४ का उदय भय प्रक्षेपे ५ का उदय; जुगुप्सा प्रक्षेपे ६ का उदय सातमे तथा छठे प्रत्याख्यानीया कोइ एक घाले सातका उदय पांचमे अप्रत्याख्यानीया कोइ एक घाले ८ नो उदयः अविरति मिश्र गुणस्थाने अनंतानुबंधी एक कोइ घाले ९ नो उदय. मिथ्यात्वगुणस्थाने एक मिथ्यात्व घाले ९० का उदय एवं उदयस्थान नव.
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मोहके उदयस्थान ९
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अथ सुगमताके वास्ते फिर लिखीये है - मिथ्यात्वगुणस्थानमे चार उदयस्थान. प्रथम सातका उदय - मिथ्यात्व १, कोई अप्रत्याख्यान चारोंमें १, कोइ प्रत्याख्यान १, कोइ संज्वन १. कोइ किस वास्ते ? एक चौकडीना क्रोध आदि वेदातां सघलाइ क्रोध वेदे क्रोध, एवं मान आदि वेदे मान; जातके सदृशपणे करी तीन वेद माहे एक कोइ वेद १, हास्य १, रति १ वा शोक १, अरति १ इनमे एक युगल लीजे; एवं ७. आठके उदयमे भय वा जुगुप्सा; अथवा अनंतानुबंधी चारमे (से) एक इन तीनो माहेथी एक, सात पूर्वली एवं ८. नवके उदय मे अनंतानुबंधी ९, भय १ लीजे; अथवा अनंतानुबंधी १ जुगुप्सा १ लीजे; अथवा भय १, जुगुप्सा १ लीजे; एवं ९. दशमे तीनो - अनंतानुबंधी १, भय १, जुगुप्सा १; ए तीनो सातमे घाले. दूजेमे सातका उदयमे चारों चौकडीका स्वजातीया एकेक; एवं ४ हास्य १, रति १, शोक १, अरति १, इनमेसुं एक जुगल २, एक कोइ वेद १; एवं ७. आठमे भय १ वा जुगुप्सा १ घाले ८. भय १, जुगुप्सा १ दोनो घाले ९. एवं मिश्र जानना. चौथे गुणस्थाने ६ नो उदय उपशमसम्यक्त्व वा क्षायिक सम्यकूत्वना धणीने है, अप्रत्याख्यान १, प्रत्याख्यान १, संज्वलन १, इनमें एकेक स्वजातीया ३, एक कोइ वेद १, एक कोइ युगल एवं ६. सातमे
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