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तत्त्व
नवतत्त्वसंग्रह
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थान
४० दर्शनउद्वस्थान
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चारका उदयस्थान होवे तो चक्षु आदि ४. जो पांचका उदयस्थान होवे तो तिहां निद्रा एक कोइ जिसका जिस गुणस्थानमे उदय है सो प्रक्षेपीये तो पांचका उदयस्थान.
मिथ्यात्वसे लेकर उपशान्तमोह लगे नवकी सत्तानो एक स्थान. उपशपश्रेणि अपेक्षा अने क्षपकश्रेणि आश्री नवमे गुणस्थानके प्रथम भाग लगे नवनी सत्ता. नवमेके दूजे भागथी प्रारंभी बारमेके छहले दो समय लगे स्त्यानधि त्रिक क्षये ६ नी सत्तास्थान. बारमेके छहले समय दो निद्रा क्षये ४ का सत्तास्थान ज्ञातव्यम्.
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वेदनीयके । बंधस्थान १
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वेदनीयका बंधस्थान १-साता वा असाता. आपसमे विपर्ये(र्यय) है. इस वास्ते बंधस्थान १ जानना.
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वेदनीयका उदयस्थान १
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वेदनीयका उदयस्थान १-साता वा असाता. दोनो(का) समकालमे उदय नही, इस वास्ते एक स्थान.
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वेदनीयके | सत्तास्थान २
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वेदनीयके सत्तास्थान २ साता वा असाता. जो साता क्षय कीनी होइ तो असाताकी सत्ता असाता क्षय करी होइ तो साताकी सत्ता; इस वास्ते दो सत्तास्थान ज्ञेयम्.
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मोहके बंधस्थान १०
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