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श्रीविजयानंदसूरिकृत
(७३) (पुद्गलपरावर्तन ) भगवती श० १२, उ० ४ ( सू० ४४८ )
तैजस
भौदारिक १ वैकिय २
पुगलपरावर्तन ७
स्तोक काल सर्वमे किस
का ?
५
थोडा पुद्गल कौनसा [कस्य ] अनंत
गुणा
अने बहुता कौनसा ?
३
अनंत
6)
४
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अनंत
१
स्तोक
प्रारंभकालयंत्रम्
प्रथम २ ३
५
६
समय समय समय समय समय समय
१
आ आ आ आ आ आहार हार हार हार हार हार
शरीर शरीर शरीर शरीर शरीर
इन्द्रि - इन्द्रि इन्द्रि इन्द्रि
य
य
य य
सासो सासो सासो
पुद्गल
भाषा भाषा
मन
३
२
अनंत
६ अनंत गुणा
(७४) अथ पर्याप्तियंत्रम्
सर्व
पर्याप्तिका
समय
समुच्चयकाल
3:5
99
कार्मण ४ ५
33
१ स्तोक
O
७
अनंत
विक
अंतर्मुहूर्त - न्द्रिय
०
एके
न्द्रिय
मनपुद्गल वचनपुद्गल आनप्राण
६
७
१ २
स्वामी स्तोक असं
ख्य
ल
ब्धि
अपर्य
५ अनंत गुणा
0
संज्ञी
पंचे- आ- शरीर इन्द्रि
य
हार
न्द्रिय
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३ अनंत २ अनंत
33
33
33
०
समाप्तिकालयंत्रम्
१३ वि शेष अधि
क
O
125
६ अनंत
13
""
0
33
33
39
घ
श्वा
४ ५ ६ विशे- विशे- वि.
ष शेष
च्छ्
वास
[१ जीव
124
35
४
अनंत
४
अनंत
भाषा मन
'निश्चयनयमतेन सर्व पर्याप्ति एक साथ प्रारंभे पिण व्यवहार नय मते एक समयांतर. आहार पर्याप्तिने एक समय लगे अने अन्य सर्वने अंतर्मुहूर्त कालम् पृथक् पृथक्.
१ निश्चय नयना अभिप्राय अनुसार ।
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