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उपकरण
तस्वं]
- नवतत्त्वसंग्रह (६६) अथ इन्द्रियस्वरूपयंत्रम् प्रज्ञापना १५ मे पदे | निवर्तन | अभ्यन्तर | ५ इन्द्रियांका संस्थान कदंब पुष्प आदिका कह्या है. अंगुलके इन्द्रिय | इन्द्रिय १ असंख्य भाग.
बाह्य इन्द्रिया८ इन्द्रिय कर्ण २, नेत्र २, नासिका २, जिह्वा १, स्पर्श १, इनका आकार
संस्थान नाना प्रकारे. खड्ग धारा समान स्वच्छतर पुद्गल समूह रूप जैसे खड्गधाराके | "सार पुद्गल काम करे है तैसे इन्द्रियाके सारता तिनके व्याघातसे
_अंधा, बहिरा आदि होता है. अभ्यंतर
अभ्यंतर उपकरण शक्तिरूप जानने. लब्धि | श्रोत्रेन्द्रिय आदि विषय सर्व आत्माके प्रदेशामे तदावरणीय कर्मका
क्षयोपशम. उपयोग ख ख विषयमे लब्धिरूप इन्द्रियाके अनुसारे आत्माका व्यापार ते 'उपयोग
इन्द्रिय' कहीये. इति नन्दीवृत्तौ. (६७) श्रीमज्ञापना पद १५ से इन्द्रिययन्त्रम् इन्द्रिय
जघन्य आदि
| श्रोत्रेन्द्रिय चक्षु | प्राण रसनेन्द्रिय | स्पर्शन संस्थान
कदंब पुष्पका मसूर चंद्र । अतिमुक्त छु (खु) रप्प नाना संस्थान
अंगुल असंख्य जाडपणा
भाग विस्तार
एवम्
पृथक् अंगुल शरीरप्रमाण स्कंध
अनंत प्रदेश →ए अवगाहन असंख्य
प्रदेश अवगाहना २ संख्येय गुणा १ स्तोक ३ संख्य | ४ असंख्य
५संख्यस्वरूप प्रदेश ७ संख्येय | ६ अनंत ८ संख्येय ९ असंख्येय १० संख्येय कर्कश गुरु २ अनंत । १ स्तोक ३ अनंत | ४ अनंत | ५ अनंत
मृदु लघु ९ अनंत गुणे १० अनंत गुणे ८ अनंत गुणे ७ अनंत गुणे ६ अनंत गुणे स्पृष्ट स्पृष्ट अस्पृष्ट स्पृष्ट
स्पृष्ट प्रविष्ट
प्रविष्ट - अप्रविष्ट प्रविष्ट प्रविष्ट प्रविष्ट जघन्य अंगुल असंख्य →ए विषये
| उत्कृष्ट । १२ योजन | लाख योजन| नव योजन | नव योजन | नव योजन १ नन्दीसूत्रनी वृत्तिमा।
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एवम्
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टीकामे
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