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________________ ७५ उपकरण तस्वं] - नवतत्त्वसंग्रह (६६) अथ इन्द्रियस्वरूपयंत्रम् प्रज्ञापना १५ मे पदे | निवर्तन | अभ्यन्तर | ५ इन्द्रियांका संस्थान कदंब पुष्प आदिका कह्या है. अंगुलके इन्द्रिय | इन्द्रिय १ असंख्य भाग. बाह्य इन्द्रिया८ इन्द्रिय कर्ण २, नेत्र २, नासिका २, जिह्वा १, स्पर्श १, इनका आकार संस्थान नाना प्रकारे. खड्ग धारा समान स्वच्छतर पुद्गल समूह रूप जैसे खड्गधाराके | "सार पुद्गल काम करे है तैसे इन्द्रियाके सारता तिनके व्याघातसे _अंधा, बहिरा आदि होता है. अभ्यंतर अभ्यंतर उपकरण शक्तिरूप जानने. लब्धि | श्रोत्रेन्द्रिय आदि विषय सर्व आत्माके प्रदेशामे तदावरणीय कर्मका क्षयोपशम. उपयोग ख ख विषयमे लब्धिरूप इन्द्रियाके अनुसारे आत्माका व्यापार ते 'उपयोग इन्द्रिय' कहीये. इति नन्दीवृत्तौ. (६७) श्रीमज्ञापना पद १५ से इन्द्रिययन्त्रम् इन्द्रिय जघन्य आदि | श्रोत्रेन्द्रिय चक्षु | प्राण रसनेन्द्रिय | स्पर्शन संस्थान कदंब पुष्पका मसूर चंद्र । अतिमुक्त छु (खु) रप्प नाना संस्थान अंगुल असंख्य जाडपणा भाग विस्तार एवम् पृथक् अंगुल शरीरप्रमाण स्कंध अनंत प्रदेश →ए अवगाहन असंख्य प्रदेश अवगाहना २ संख्येय गुणा १ स्तोक ३ संख्य | ४ असंख्य ५संख्यस्वरूप प्रदेश ७ संख्येय | ६ अनंत ८ संख्येय ९ असंख्येय १० संख्येय कर्कश गुरु २ अनंत । १ स्तोक ३ अनंत | ४ अनंत | ५ अनंत मृदु लघु ९ अनंत गुणे १० अनंत गुणे ८ अनंत गुणे ७ अनंत गुणे ६ अनंत गुणे स्पृष्ट स्पृष्ट अस्पृष्ट स्पृष्ट स्पृष्ट प्रविष्ट प्रविष्ट - अप्रविष्ट प्रविष्ट प्रविष्ट प्रविष्ट जघन्य अंगुल असंख्य →ए विषये | उत्कृष्ट । १२ योजन | लाख योजन| नव योजन | नव योजन | नव योजन १ नन्दीसूत्रनी वृत्तिमा। . . एवम् . टीकामे SER व म् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003176
Book TitleNavtattvasangraha tatha Updeshbavni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Hiralal R Kapadia
PublisherHiralal R Kapadia
Publication Year1931
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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