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श्रावक धर्म-अणुव्रत
नौवां सामायिक व्रत
सामायिक का फल तो पारावार है, । य एक अथवा अधिक सामायिक करना चाहिए। शरीर के कारण न बन सके तो अथवा आधिव्याधि उपाधिक कारण नहीं हो सके तो पांच तिथि अवश्य करना चाहिए।
सामायिक व्रत के पांच अतिचार हैं, (१) मन दुःप्रणिधान- अर्थात् कुविकल्प विचार करके दुषित होना । (२) वचन दुःप्रणिधानः-अर्थात् सावध वचन बोल कर क्रिया को दूषणवाली बनाना (३) काय दु:प्रणिधान-सामायिक करते समय दीवार का सहारा लेना अङ्गोपाङ्ग फैलाना (४) अनवस्था दोष-समय पूरा होने से पहिले सामायक पारना (५) स्मृति विहीन-सामायिक लेने का समय याद रहने से अथवा सामायिक पारना भूल जाय तो इस तरह की क्रिया से अतिचार लगता है।
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