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भरत चक्रवर्ती के स्वप्न व फल]
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३. सीमा का उल्लंघन किये हुए समुद्र। ३. राजा लोग अन्यायी होंगे, उनको परधनहरण की इच्छा होगी।
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४. बारह फणों का सर्प देखा। ४. बारह वर्षों तक अकाल(दुष्काल) पड़ेगा।
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