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आध्यात्मिक पूजन-1 - विधान संग्रह
क्षत् का अभिमान तजूँ, अक्षत निज भाव भजूँ। पंचमेरू असी मंदिर, जिनबिम्ब जजूँ सुखकर ॥
ॐ ह्रीं श्री पंचमेरूसम्बन्धि अशीतिजिनचैत्यालयस्थ जिनबिम्बेभ्यः अक्षयपद प्राप्तये अक्षतं निर्वपामीति स्वाहा ।
ले
पुष्प शील के शुभ, नाशँ प्रभु काम अशुभ | पंचमेरू असी मंदिर, जिनबिम्ब जजूँ सुखकर ।।
ॐ ह्रीं श्री पंचमेरूसम्बन्धि अशीतिजिनचैत्यालयस्थजिनबिम्बेभ्यः कामबाण विध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा ।
समता रस स्वादी बनूँ, दुर्दोष क्षुधादि हनँ । पंचमेरू असी मंदिर, जिनबिम्ब जजूँ सुखकर ॥
ॐ ह्रीं श्री पंचमेरूसम्बन्धि अशीतिजिनचैत्यालयस्थजिनबिम्बेभ्यः क्षुधारोग विनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा ।
निज ज्ञान सु परकाशे, अज्ञान तिमिर नाशे । पंचमेरू असी मंदिर, जिनबिम्ब जजूँ सुखकर ॥
ॐ ह्रीं श्री पंचमेरूसम्बन्धि अशीतिजिनचैत्यालयस्थजिनबिम्बेभ्यः मोहांधकार विनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा ।
निज ध्येय रूप ध्याऊँ, दश धर्म सु महकाऊँ । पंचमेरू असी मंदिर, जिनबिम्ब जजूँ सुखकर ॥
ॐ ह्रीं श्री पंचमेरूसम्बन्धि अशीतिजिनचैत्यालयस्थजिनबिम्बेभ्यः अष्टकर्म दहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा ।
विषमय विधि फल त्यागा, शिवफल में चित पागा ।
पंचमेरू असी मंदिर, जिनबिम्ब जजूँ सुखकर ॥
ॐ ह्रीं श्री पंचमेरूसम्बन्धि अशीतिजिनचैत्यालयस्थजिनबिम्बेभ्यः मोक्षफल प्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा ।
ले भाव अर्घ्य सुन्दर, निज विभव लहूँ जिनवर । पंचमेरू असी मंदिर, जिनबिम्ब जूँ सुखकर ||
ॐ ह्रीं श्री पंचमेरूसम्बन्धि अशीतिजिनचैत्यालयस्थजिनबिम्बेभ्यः अनर्घ्यपद प्राप्तये अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।
जयमाला
(दोहा) पंचमेरु के जिन भवन, पूजत हो आनन्द । गाऊँ जयमाला सुखद, नशें कर्म के फन्द ॥
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