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आध्यात्मिक पूजन-विधान संग्रह सर्वांग सुखमय स्वयं सिद्ध निर्मल।
शक्ति अनन्तोमयी एक अविचल ॥ बिन्मूर्ति चिन्मूर्ति भगवान आत्मा।
तिहूँ जग में नमनीय शाश्वत चिदात्मा ।। हो अद्वैत वन्दन प्रभो हर्ष छाया।
तिहूँ लोक में नाथ अनुपम जताया ॥६॥ ॐ ह्रीं श्री वीतरागदेवाय अनर्घ्यपदप्राप्तये जयमाला अर्घ्य नि. स्वाहा । दोहा- आपहि ज्ञायक देव है, आप आपका ज्ञेय ।
अखिल विश्व में आप ही, ध्येय ज्ञेय श्रद्धेय ।।
॥पुष्पाञ्जलिं क्षिपामि॥ श्री शांति-कुन्थु-अरनाथ जिनपूजन
(वीर-छन्द) हो चक्रवर्ति अरु कामदेव, प्रभु तीर्थंकर पदवी धारी। हे शांति-कुन्थु-अरनाथ ! सदा, मैं करूँ वंदना अविकारी।
आकर आप समीप जिनेश्वर, आनन्द उर न समाया है। तव दर्शन पाकर नाथ आज, निजदर्शन मैंने पाया है। ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथ-कुन्थुनाथ-अरनाथ-जिनेन्द्राः ! अत्र अवतरन्तु अवतरन्तु संवौषट् इत्याह्वननम् । ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथ-कुन्थुनाथ-अरनाथ-जिनेन्द्राः ! अत्र तिष्ठन्तु तिष्ठन्तु ठः ठः स्थापनम् । ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथ-कुन्थुनाथ-अरनाथ-जिनेन्द्राः! अत्र मम सन्निहिता भवन्तु भवन्तु वषट् सन्निधिकरणम्।
(अवतार छन्द) मिथ्यामल धोने आज, सम्यक् जल पाया। प्रभु जन्म-जरा-मृत्यु शून्य, ज्ञायक दिखलाया। हे शांति-कुन्थु-अरनाथ, चरणन शिर नाऊँ।
है महामहिम निजभाव, प्रभुता प्रगटाऊँ ।। ॐ ह्रीं श्रीशांतिनाथ-कुन्थुनाथ-अरनाथ-जिनेन्द्रेभ्यो जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं..।
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