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आध्यात्मिक पूजन- विधान संग्रह
क्षत् रूप विभाव असार, चरणन माँहिं तजूँ । तुम सम ही है जिनराज, अक्षय सौख्य लहूँ ॥ बायती तीर्थेश, नित प्रति शिर नाऊँ । हे मल्लिनाथ जिनराज, शाश्वत पद पाऊँ ॥
ॐ ह्रीं श्री मल्लिनाथजिनेन्द्राय अक्षयपदप्राप्तये अक्षतं निर्वपामीति स्वाहा । प्रभु काम भोग निस्सार, चरणन माँहिं तजूँ ।
तुम सम ही है जिनराज, ब्रह्म विलास भजूँ । हे बालयती.. ॥ ॐ ह्रीं श्री मल्लिनाथजिनेन्द्राय कामबाणविध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा । निस्सार बाह्य नैवेद्य, चरणन माँहिं तजूँ ।
तुम सम ही हे जिनराज, तृप्त सदैव रहूँ || हे बालयती .. ॥ ॐ ह्रीं श्री मल्लिनाथजिनेन्द्राय क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा । जड़ दीप प्रभु निस्सार, चरणन माँहिं तजूँ ।
तुम सम ही है जिनराज, नित निर्मोह रहूँ । हे बालयती.. ॥ ॐ ह्रीं श्री मल्लिनाथजिनेन्द्राय मोहान्धकारविनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा । सुखरूप नहीं जड़ धूप, चरणन माँहिं तजूँ
। तुम सम ही हे जिनराज, नित निष्कर्म रहूँ । हे बालयती.. ॥ ॐ ह्रीं श्री मल्लिनाथजिनेन्द्राय अष्टकर्मविध्वंसनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा । लौकिक फल सर्व असार, चरणन माँहिं तजूँ ।
तुम सम ही हे जिनराज, मुक्त सदैव रहूँ । हे बालयती.. ॥
ॐ ह्रीं श्री मल्लिनाथजिनेन्द्राय मोक्षफलप्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा । प्रभु बाह्य विभव निस्सार, चरणन माँहिं तजूँ ।
तुम सम ही है जिनराज, विभव अनर्घ्य लहूँ ॥ हे बालयती.. ॥ ॐ ह्रीं श्री मल्लिनाथजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा । पंचकल्याणक अर्घ्य
(सोरठा)
करे जगत कल्याण, गर्भागम भी आपका ।
हो भवभय से त्राण, भाव सहित पूजूँ प्रभो ॥
ॐ ह्रीं चैत्रशुक्लप्रतिपदायां गर्भमंगलमण्डिताय श्री मल्लिनाथजिनेन्द्राय अर्घ्यं नि. ।
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