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________________ ॐ हीं मा कृष्णा लेक सुमेरू पाहताय श्रीशान्तिना विचार 153 आध्यात्मिक पूजन-विधान संग्रह पंचकल्याणक अर्घ्य (दोहा) भादौं कृष्णा सप्तमी, तजि सर्वार्थ विमान। ऐरा माँ के गर्भ में, आए श्री भगवान ।। ॐ ह्रीं भादवकृष्णासप्तम्यां गर्भमंगलमंडिताय श्रीशान्तिनाथ-जिनेन्द्राय अयं नि.। कृष्णा जेठ चतुर्दशी, गजपुर जन्मे ईश। करि अभिषेक सुमेरू पर, इन्द्र झुकावें शीश॥ ॐ ह्रीं ज्येष्ठकृष्णाचतुर्दश्यां जन्ममंगलमंडिताय श्रीशान्तिनाथ-जिनेन्द्राय अयं नि.। सारभूत निर्ग्रन्थ पद, जगत असार विचार। कृष्णा जेठ चतुर्दशी, दीक्षा ली हितकार ॥ ॐ ह्रीं ज्येष्ठकृष्णाचतुर्दश्यां तपोमंगलमंडिताय श्रीशान्तिनाथ-जिनेन्द्राय अयं नि.। आत्मध्यान में नशि गये, घातिकर्म दुखदान। पौष शुक्ल दशमी दिना, प्रगटो केवलज्ञान ।। ॐ ह्रीं पौषशुक्लादशम्यां ज्ञानमंगलमंडिताय श्रीशान्तिनाथ-जिनेन्द्राय अयं नि.। जेठ कृष्ण चौदशि दिना, भये सिद्ध भगवान । __ भाव सहित प्रभु पूजते, होवे सुख अम्लान ॥ ॐ ह्रीं ज्येष्ठकृष्णाचतुर्दश्यां मोक्षमंगलमंडिताय श्रीशान्तिनाथ-जिनेन्द्राय अयं नि.। जयमाला (चौपाई) जय जय शान्तिनाथ जिनराजा, गाऊँ जयमाला सुखकाजा। जिनवर धर्म सु मंगलकारी, आनन्दकारी भवदधितारी॥ (लावनी) प्रभु ! शान्तिनाथ लख शान्त स्वरूप तुम्हारा। चित शान्त हुआ मैं जाना जाननहारा ।।टेक।। हे वीतराग सर्वज्ञ परम उपकारी, अद्भुत महिमा मैंने प्रत्यक्ष निहारी। जो द्रव्य और गुण पर्यय से प्रभु जानें, वे जानें आत्मस्वरूप मोह को हानें ॥ विनशें भवबन्धन हो सुख अपरम्पारा ॥ चित शान्त हुआ मैं... ॥१॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003170
Book TitleAdhyatmik Poojan Vidhan Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra
PublisherKanjiswami Smarak Trust Devlali
Publication Year2008
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Worship, Religion, Ritual, & Vidhi
File Size8 MB
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