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आध्यात्मिक पूजन-विधान संग्रह
जन्म भयो सुखकार, माघ सुदी दशमी दिवस।
आनन्द अपरम्पार, भयो सहज त्रयलोक में। ॐ ह्रीं माघशुक्लदशम्यांजन्ममंगलमंडिताय श्री अजितनाथजिनेन्द्राय अयं नि.स्वाहा।
मुनिपद दीक्षा धार, माघ सुदी दशमी दिना।
हो निशल्य अविकार, सहज निजातम साधिया॥ ॐ ह्रीं माघशुक्लदशम्यां तपोमंगलमंडिताय श्री अजितनाथजिनेन्द्राय अयं नि.।
घातिकर्म निरवार, पौष सुदी एकादशी।
पूर्ण ज्ञान सुखकार, पाया प्रभु अरिहंत पद॥ ॐ ह्रीं पौषशुक्लएकादश्यां ज्ञानमंगलमंडिताय श्री अजितनाथजिनेन्द्राय अयं.. ।
पाया प्रभु निर्वाण, चैत्र सुदी तिथि पंचमी।
शिखर सम्मेद महान, मैं पूजों अति चाव सौं॥ ॐ ह्रीं चैत्रशुक्लपंचम्यां मोक्षमंगलमंडिताय श्री अजितनाथजिनेन्द्राय अयं नि. ।
जयमाला
(दोहा) ज्ञान शरीरी नाथ को, ज्ञान माँहिं अवलोक। ज्ञानमयी आनन्द हो, मिटें उपद्रव शोक ॥
(गीतिका) जित-शत्रु नन्दन, भवनिकन्दन, ज्ञानमय परमात्मा। जयमाल गाऊँ भक्ति से, ध्याऊँ सहज शुद्धात्मा । पूर्व भव में विमलवाहन, भूप नीतिवान थे। श्रुतकेवली मुनिराज देखे, जो गुणों की खान थे॥ उपदेश सुन अन्तर्मुखी, परिणमन प्रभु तुमने किया। संसार में अब नहिं रहूँ, संकल्प तत्क्षण कर लिया। निर्ग्रन्थ हो निर्द्वन्द हो, भायीं सु सोलह भावना। प्रकृति तीर्थंकर बंधी, शुभरूप मंगल कारना।
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