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________________ क्रमबद्धपर्याय : कुछ प्रश्नोत्तर 85 2. प्रत्येक द्रव्य में निरन्तर अनन्त शक्तियाँ उल्लसित होती रहती हैं, जिनमें भाव, अभाव आदि छह शक्तियों के कारण द्रव्य की परिणमन-व्यवस्था व्यवस्थित रहती है। उनका स्वरूप निम्नानुसार है(1) भावशक्ति :- द्रव्य में प्रतिसमय उसकी निश्चित अवस्था अवश्य ही होती है। (I) अभाव शक्ति :-वर्तमान पर्याय के अलावा कोई अवस्था उत्पन्न नहीं होती। (I) भावाभाव शक्ति :- वर्तमान पर्याय का आगामी समय में नियम से अभाव होता है। (IV) अभाव-भावशक्ति :-आगामी समय में होने वाली पर्याय अपने समय में नियम से उत्पन्न होती है। (V) भावभाव शक्ति :- जो पर्याय जिस समय होना है, वह उस समय अवश्य होगी। (NI) अभावाभाव शक्ति :- जो पर्याय जिस समय नहीं होना है, वह उस समय नहीं होगी। उक्त छह शक्तियों का समूह यह सुनिश्चित करता है कि जिस द्रव्य की जो पर्याय, जिस समय, अपने उपादान के अनुसार जिस विधि से होनी है, वह स्वयं नियम से उस समय वैसी ही होती है, उसमें पर की अपेक्षा रञ्चमात्र भी नहीं होती। विशेष निर्देश :- उक्त शक्तियों के कार्य को तात्कालिक घटनाओं के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है। **** प्रश्न 7 गर्भित आशय :- यदि हम अपनी पर्यायों के क्रम में भी परिवर्तन नहीं कर सकते तो हम उसके कर्ता भी नहीं रहेंगे? क्योंकि कर्ता होने का मतलब तो यही है कि हम जो चाहें वह करें और जो न चाहें वह न करें। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003169
Book TitleKrambaddha Paryaya Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size5 MB
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