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________________ क्रमबद्धपर्याय : एक अनुशीलन समय क्यों लगता है? गुरु का निमित्त मिलने पर भी ज्ञान तुरन्त क्यों नहीं हो जाता? उन्हें एक ही विषय को बार-बार क्यों समझाना पड़ता है ? इत्यादि अनेक परिस्थितियाँ तत्समय की योग्यता अर्थात् काललब्धि के महत्व को स्पष्ट करती हैं। उक्त प्रश्नोत्तर से वस्तुस्वरूप समझने का एक गम्भीर रहस्यात्मक सूत्र प्रगट होता है। लोक में घटित होनेवाली कोई भी घटना हो। वह क्यों हुई ? ऐसा प्रश्न किया जाए, फिर उसका जो भी उत्तर हमारे ख्याल में आए उसमें भी ऐसा क्यों हुआ? ऐसा प्रश्न पुनः किया जाए। उसके सम्भावित उत्तर में ऐसा क्यों हुआ? पुनः प्रश्न किया जाए। इसप्रकार प्रश्नोत्तर करते-करते भवितव्यता का यथार्थ स्वरूप समझा जा सकता है। 51 एक व्यक्ति स्कूटर से कहीं जा रहा था। पीछे से तेज गति से आते हुए एक ट्र क ने उसे टक्कर मार दी, जिससे उस व्यक्ति की तत्काल मृत्यु हो गई? अब निम्नानुसार प्रश्नोत्तर सम्भावित हो सकते हैं —— प्रश्न :- यह दुर्घटना कैसे हुई ? उत्तर :- ट्रक चालक तेज गति से ट्रक चला रहा था, इसलिए टक्कर लग गई? प्रश्न :- ट्रक चालक तेज क्यों चला रहा था? उत्तर :- ड्राईवर शराब के नशे में था, इसलिए उसे तेज गति का ध्यान नहीं था । प्रश्न :- ड्राईवर ने शराब क्यों पी थी ? उत्तर :- प्रायः सभी ड्राईवर शराब पीकर ही चलाते हैं । उसे तो बचपन से ही शराब पीने की आदत पड़ गई थी । प्रश्न :- उसे बचपन से ऐसी आदत क्यों पड़ गई थी ? उत्तर : - वह निम्न कुल में जन्मा था । उसका पिता भी ड्राईवर था और वह भी शराब पीता था, फिर नशे में उसकी माँ को गालियाँ देता था, मारता था - वह सब देख कर उसकी आदत ऐसी पड़ गई। प्रश्न : - यह व्यक्ति ऐसे कुल में क्यों जन्मा ? जैन कुल में जन्मा होता तो तत्त्वज्ञान और सदाचार के संस्कार पढ़ते, जिनसे वह सदाचारी विद्वान बन जाता ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003169
Book TitleKrambaddha Paryaya Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size5 MB
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