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अपनीबात
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गद्यांश 5 इसके बाद तो इसी कारण...
..अपना श्रम सार्थक समझूगा। (पृष्ठ XIII पैरा 1 से पृष्ठ XIV पैरा 1 तक) विचार बिन्दु :-इस गद्यांश में क्रमबद्धपर्याय की बात समझने से लेखक को जो लाभ हुआ, उसका वर्णन किया गया है। क्रमबद्धपर्याय पुस्तक लिखना कैसे प्रारम्भ हुआ, इसकी चर्चा करते हुए, पाठकों से इसे बार-बार पढ़ने और विचार-मंथन करने का अनुरोध किया गया है, तथा इसकी श्रद्धा से मुक्ति का मार्ग किसप्रकार प्रगट होता है-यह भी बताते हुए विरोध करने वालों को भी इसे स्वीकार करने की प्रेरणा दी हैं। प्रश्न :10. क्रमबद्धपर्याय समझने से लेखक को कैसा अनुभव हुआ? 11. क्रमबद्धपर्याय की स्वीकृति में जीत है, हार है ही नहीं- इस कथन का आशय
स्पष्ट कीजिए? 12. यह कृति लिखने की प्रेरणा लेखक को कैसे मिली? 13. लेखक अपने श्रम की सार्थकता किसमें समझते हैं?
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गद्यांश6 इसके लिखने में मैं.........................होकर अनन्त सुखी हो।
(पृष्ठ XIV पैरा 2 से पृष्ठ XXI सम्पूर्ण) विचार बिन्दुः-इस गद्यांश में लेखक ने प्रस्तुत कृति के प्रारम्भ से पूर्णता तक सभी बिन्दुओं का वर्णन करते हुए यह भी बताया है कि उन्होंने इसे निबन्ध के रूप में समाज के विद्वानों के पास दो बार भेजा, ताकि उनके सुझावों पर गम्भीरता से विचार करके उन्हें इसमें शामिल किया जा सके। प्रस्तुत कृति को उन्होंने किस
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