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क्रमबद्धपर्याय: निर्देशिका
7. कार्य की उत्पत्ति में काललब्धि को मुख्य कर अन्य समवायों का निषेध ही कर देना सम्यक् अनेकान्त है।
प्रश्न 3. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए?
1. प्रत्येक परिणाम स्वरूप से उत्पन्न होने से.
. है ।
2. प्रत्येक परिणाम पूर्वरूप से विनष्ट होने से 3. प्रत्येक परिणाम प्रवाहक्रम में स्वकाल में स्थित होने से .......... 4. प्रत्येक परिणाम अपने स्वकाल में . विद्यमान है।
है ।
. खचित है।
5. तीनों काल के एक-एक समय में प्रत्येक गुण की ............ 6. भवितव्यता की शक्ति . है अर्थात् उसे बदला नहीं जा सकता। सिद्धि की है एवं उससे
7. आगम से
8.
9. हमें अव्यवस्थित दिखनेवाली व्यवस्था भी पूर्व
10. उत्पन्न होने वाला कार्य ही
11. प्रत्येक द्रव्य की पर्यायें तीन काल के
12. द्रव्यदृष्टि प्राप्त करने के लिये पर्यायों की
प्रश्न 4. निम्न प्रश्नों के उत्तर सही उत्तर पर चिन्ह ( ) लगाईये ?
1. वस्तु के परिणमन की विशेषता है।
अ.
. अनियमितता
2. आगम से सिद्ध होती है।
.पूर्वक ही क्रमबद्धता ख्याल में आती है।
और,
ब. अव्यवस्थित
है ।
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अ. सामाजिकता ब. सांस्कृतिकता
का ज्ञापक है।
स. स्वतंत्र
स. सर्वज्ञता
की सिद्धि की गई है।
. बराबर है।
. की प्रतीति करना आवश्यक है।
ब. द्रव्य की नित्यता
. होती है ।
3. अकर्त्तावाद का वास्तविक अर्थ है।
अ. ईश्वर सृष्टि का कर्त्ता है स. अज्ञानी पर का कर्ता है 4. क्रमबद्धपर्याय में यह शामिल नहीं है। अ. द्रव्य की निश्चितता
5. यह कथन गलत है
अ. सभी जीव पूर्ण वीतरागी हैं। ब. पर्यायें नियमित हैं स जगत पूर्ण व्यवस्थित है।
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द. प्रजातंत्र
संप्रभुत
ब. एक दूसरे द्रव्य का कर्त्ता नहीं है। द. जीव रागादि का कर्त्ता है।
स. भाव की निश्चितता
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