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________________ 110 क्रमबद्धपर्याय : निर्देशिका उत्तर :- भले हम क्रमबद्धपर्याय की भाषा और परिभाषा न जानें, परन्तु सम्यग्दर्शन के लिए देव-शास्त्र-गुरु की श्रद्धा तो अनिवार्य है, सच्चे देव की श्रद्धा में सर्वज्ञता और क्रमबद्धपर्याय की श्रद्धा भी समाहित है। द्रव्य-गुण-पर्याय के स्वरूप में भी क्रमबद्धपर्याय व्यवस्था सम्मिलित है और सम्यग्दर्शन के लिए द्रव्य-गुण-पर्याय का स्वरूप तो जानना ही पड़ेगा। ___ पर-पदार्थों और पर्याय की कर्ता-बुद्धि टूटे बिना दृष्टि स्वभाव-सन्मुख नहीं हो सकती और क्रमबद्धपर्याय की सच्ची श्रद्धा हुए बिना पर और पर्यायों की कर्ताबुद्धि नहीं टूट सकती। अतः क्रमबद्धपर्याय की श्रद्धा के बिना सम्यग्दर्शन का सच्चा पुरुषार्थ नहीं हो सकता। नरक और तिर्यंञ्च गति में भी जिसे सम्यग्दर्शन होता है, उसे देव-शास्त्रगुरु, सात तत्व, स्व-पर आदि के स्वरूप का भाव-भासन तो होता ही है, अन्यथा सम्यग्दर्शन कैसे होगा? इन सबमें पर और पर्यायों के अकर्तास्वरूप ज्ञायकस्वभाव की श्रद्धा अर्थात् क्रमबद्धपर्याय की श्रद्धा का भाव भी आ ही जाता है। ___ नरक और तिर्यंञ्च गति की व्यवस्था मनुष्य गति में कैसे लागू हो सकती है? वहाँ तो शास्त्राभ्यास, तत्त्व-चर्चा, धन्धा-व्यापार आदि की व्यवस्था भी नहीं है। यदि हम उनका बहाना लेकर तत्त्व-निर्णय से बचना चाहते हैं तो क्या उन जैसा खान-पान, रहन-सहन आदि भी अपनाने को तैयार हैं? यदि नहीं तो फिर बहाना बनाने से क्या फायदा? इसमें हमारा यह कीमती मनुष्यभव व्यर्थ चला जाएगा। अतः यदि हम अन्तर की गहराई से संसार के दुःखों से मुक्ति चाहते हैं तो हमें आप्त और आगम की श्रद्धा पूर्वक निष्पक्ष भाव सेतत्त्व-निर्णय करके सर्वज्ञ स्वभावी आत्मा को समझकर उसमें समा जाने का प्रयत्न करना चाहिए। प्रश्न 28. क्रमबद्धपर्याय व्यवस्था में अनेकान्त किस प्रकार घटित होता है। उत्तर :- पर्याय किसी अपेक्षा क्रमबद्ध हैं और किसी अपेक्षा अक्रमबद्ध हैं, ऐसा अनेकान्त घटित करते समय अक्रमबद्ध को निम्न अपेक्षाओं के सन्दर्भ समझना आवश्यक है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003169
Book TitleKrambaddha Paryaya Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size5 MB
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