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________________ 100 क्रमबद्धपर्याय : निर्देशिका है। यदि वस्तु का परिणमन केवलज्ञान में जाने गए क्रमानुसार न हो तो केवलज्ञान में अप्रमाणिकता का प्रसंग आएगा, जो किसी को भी इष्ट नहीं है। सर्वज्ञ भगवान वस्तु की त्रिकालवर्ती पर्यायों को जानते हैं, इससे वह स्वयं सिद्ध हो जाता है कि वस्तु का परिणमन निश्चित है। यदि वस्तु की त्रिकालवर्ती पर्यायों का क्रम निश्चित न होता तो उन्हें सर्वज्ञ भगवान कैसे जानते? फिर केवलज्ञान का क्या स्वरूप होगा? कोई न कोई पर्याय तो होगी - क्या ऐसा अनिश्चयात्मक होगा? यदि ऐसा हो तो छद्मस्थ के ज्ञान में और केवलज्ञान में क्या अन्तर रह जाएगा? यदि इन प्रश्नों पर गम्भीरता से विचार किया जाए तो सहज समझ में आ जाएगा कि सर्वज्ञ द्वारा वस्तु की त्रिकालवर्ती पर्यायों का जानना ही उन पर्यायों की निश्चितता को बताता है। ___ लोक में भी किसी कार्यक्रम की घोषणा तभी की जाती है, जबकि वह निश्चित कर लिया गया हो। न केवल वह कार्य, अपितु उसका समय, स्थान, विधि, पूर्वप्रक्रिया, उससे सम्बन्धित कार्यकर्ता आदि निश्चित होने पर ही उसकी घोषणा की जाती है। कल्पना कीजिए कि किसी की शादी का निमंत्रण दिया जाए; परन्तु कब, कहाँ, किससे होगी-यह पूछने पर यह कहा जाए कि कभी न कभी, कहीं न कहीं, किसी न किसी से होगी; तो उस घोषणा को लोक में कौन स्वीकार करेगा? अतः यह सिद्ध होता है कि किसी भी घटना की पूर्व घोषणा या पूर्वज्ञान उसके निश्चित होने को बताता है। प्रश्न 10. यदि केवलज्ञान द्वारा ज्ञात होने से वस्तु का परिणमन निश्चित माना जाए तो छद्मस्थ द्वारा ज्ञात न होने से उसे अनिश्चित क्यों न माना जाए? उत्तर :- छद्मस्थ वस्तु की त्रिकालवर्ती पर्यायों को नहीं जानता, इससे उसका अज्ञान सिद्ध होता है, वस्तु के परिणमन की अनिश्चितता नहीं। लोक में भी किसी व्यक्ति से पूछा जाए कि अमुक ट्रेन कब आएगी? तो वह यही कहेगा कि मुझे पता नहीं हैं आप रेलवे के पूछताछ कार्यालय से पूछ लो। 'मुझे पता नहीं' कहकर वह अपने अज्ञान को तथा पूछताछ कार्यालय से पूछ लो' कहकर उसके निश्चितपने को स्वीकार करता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003169
Book TitleKrambaddha Paryaya Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size5 MB
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