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समण दीक्षा : एक परिचय १६ ६. विकथा नहीं करना-वासना को उत्तेजित करने वाली, रस-लोलुपता, विग्रह और वैमनस्य बढ़ाने वाली बातचीत नहीं करना।
यह आचार-संहिता समण/समणी की साधना का अभिन्न अंग है। आचार की सुव्यवस्थित श्रृंखला में आबद्ध रहने वाला संगठन ही वास्तव में मजबूत, दीर्घकालिक और विशुद्ध संगठन होता है।
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