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मध्य एशिया और पंजाब में जैनधर्म श्री बाबूराम नौलखा जैन प्लीडर पंजाब श्रीसंघ के उच्च शिक्षा प्राप्त महानुभावों में गुरुवर प्रात्म और गुरुवर वल्लभ के मिशन में सुदढ़ विश्वास रखने वाले और उन्हें कार्यान्वित करने के भरसक प्रयत्न को अपने जीवन में सर्वोपरि स्थान देने वाले लाला बाबूराम जी नौलखा जीरा निवासी उच्च स्थान पर प्रतिष्ठित हैं। पंजाब श्रीसंघ में संभवतः उन्होंने सर्वप्रथम एम० ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। वे एल० एल० बी० भी थे और वकालत के व्यवसाय में उन्होंने भव्य सफलता प्राप्त की थी।
उनका जन्म जीरा में १६०१ ई० में हुआ। उनके पिता लाला नत्थुराम जी जैनधर्म के ज्ञाता थे । उर्दू में उन्होंने कुछ रचनाएं भी की। श्री प्रात्मानन्द जैन महासभा पंजाब का कार्यालय महासभा की स्थापना के बाद शीघ्र ही जीरा पा गया और लाला नत्थूराम जी उसके प्रधान हए। बीकानेर से प्राचार्य श्री विजयवल्लभ सूरि जी का महासभा की स्थापना विषयक सन्देश उपाध्याय श्री सोहनविजय जी के नाम लाला बाबूराम जी ही लाये थे । इस प्रकार महासभा के जन्मकाल से ही लाला बाबूराम जी उससे सम्बद्ध रहे । प्रधान और महामंत्री के रूप में कई वर्ष काम किया।
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श्री बाबराम; प्राचार्य विजयवल्लभ सूरि; श्री खेतुराम उन्होंने कई वर्षों के परिश्रम के बाद श्रीमद् विजयानन्द सूरि का उर्दू में खोजपूर्ण जीवन चरित्र लिखा जो "प्रात्मचरित्र" के नाम से १९२६-३० ई० में प्रकाशित हुआ। कुछ वर्षों बाद उसका संक्षिप्त हिन्दी रूपान्तर भी प्रकाशित हुआ । इस रचना का सब क्षेत्रों में स्वागत हुमा ।
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