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________________ प्राचार्य श्री विजयवल्लभ सूरि ४७९ * * मुनि श्री विवेकविजय जी गुजराती थे और दीक्षा लेने के पश्चात् पंजाब में विचरे नहीं। इन के शिष्य प्राचार्य श्री विजय उमंग सूरि रामनगर (पंजाब) के थे दीक्षा लेने के बाद पंजा । में नहीं आये और गुजरात में ही रहे । सब मुनिराजों का संक्षिप्त परिचय आगे लिखेंगे। माप के शिष्य प्रशिष्य सैकड़ों की संख्या में तथा आप की आज्ञानुवर्ती सैकड़ों साध्वियाँ भारत में सर्वत्र विचर कर जैनधर्म की प्रभावना कर रहे हैं । आप के उपदेश से धर्मशालाओं का निर्माण १. अंतरीक्ष पार्श्वनाय तीर्थ पर जनधर्मशाला (शीरपुर-वरार) २ जैनधर्मशाला कापरड़ा जी तीर्थ (राजस्थान) ३. श्री प्रात्मानन्द जैन पंजाबी धर्मशाला पालीताना (सौराष्ट्र) ४. श्री आत्मवल्लभ जैनधर्मशाला-किनारी बाज़ार दिल्ली ५. श्री प्रात्मवल्लभ जैनधर्मशाला-हलवाई बाजार अम्बाला शहर आप के उपदेश से उपाश्रय निर्माण १. श्री आत्मानन्द जैन उपाश्रय हस्तिवापुर (उत्तर प्रदेश) बड़ौदा (गुजरात) सिनोर (गुजरात) (जैन भवन) बालापुर (बरार) महिला उपाश्रय-जंडियाला गुरु (पंजाब) स्यालकोट (पाकिस्तान) ७. , , , रायकोट (पंजाब) पट्टी (पंजाब) , . वसई (बम्बई के समीप) १०. विशाल व्याख्यान भवन-थाना (बम्बई) ११. श्री प्रात्मानन्द जैन-उपाश्रय (प्रानंद भवन)-सामाना (पंजाब) आप श्री की निश्रा में उपधान तप १ बम्बई वि० सं० १९७० लालबाग २. बाली , , १९७६ राजस्थान ३. पूना सिटी वि० सं० १९८७ महाराष्ट्र ४. पालनपुर वि० सं० १६६० गुजरात ५. बड़ोदा वि० सं० १९९३ ६. थाना वि० सं० २००६ बम्बई ७. घाटकोपर वि० सं० २०१० , प्राचार्य श्री की निश्रा में छरी पालते यात्रा संघ वि० सं० १. गुजरांवाला से रामनगर-लाला नरसिंह दास मुन्हानी १६६२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003165
Book TitleMadhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1979
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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